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________________ ओक्टोबर-२०१६ १८१ डो. ढांकी द्वारा थयेलू एक महत्त्व→ अन्वेषण : नन्द्यावर्त जैनोमां 'नन्द्यावर्त' नामक स्वस्तिक-रचना सैकाओथी अति प्रसिद्ध छे. 'गहुंली' एटले नन्द्यावर्त. प्रसिद्ध ८ मङ्गलमां पण 'नवकोणना नन्द्यावर्त'र्नु आलेखन प्रचलित छे. डॉ. ढांकीए आ विषेनी १५०० वर्षथी प्रचलित धारणा सामे, कोश सहितना सन्दर्भो तथा पुरातत्त्वीय तथ्योनी सहायथी, प्रश्न ऊभो को छे, अने अत्यारे जे 'नन्द्यावर्त'ना नामे आकृति दोराय छे ते वास्तवमा ‘अक्षय स्वस्तिक' होवानुं अने 'नन्द्यावर्त' ते जुदी ज आकृति होवानुं सिद्ध कर्यु छे. __ आ विषे 'अनुसन्धान -१७मां तेमणे आपेली नोंध तेमज तेमना AIIS द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ 'The Indian Temple Traceries'मां आ विषये तेमणे लखेल संशोधनात्मक नोंध, अहीं प्रगट करवामां आवे छे. आ अंग्रेजी नोंधनी झेरोक्स तेमणे स्वयं अमने आपीने ते 'अनुसन्धान'मां प्रगट करवा सूचवेलुं. अहीं ते बन्ने - गुजराती तथा अंग्रेजी नोंधो प्रकाशित करीए छीए. - शी. 'नन्द्यावर्त' विषे डो. ढांकीनी नोंध ('अनुसन्धान-१७'माथी उद्धृत) । अनुसन्धान 'अंक ३'मां ढूंकी चर्चा (पृ.२८-२९) अंतर्गत "(९) 'घउंली' ' शब्द पर भायाणी साहेबे ससार चर्चा करी छे. सौराष्ट्रना कांठाळना शहेरोमां 'ल'ने बदले 'र' बोलातो होई त्यां, मूळभूत स्वस्तिक आकार घउं वडे (क्यारेक चोखा वती पण) बाजोठ पर (के जमीन पर) करवानी क्रियाने 'घउंली पूरवी' एम कहेवाने बदले 'घउंरी काढवी' एवो शब्दप्रयोग सांभळवा मळे छे. घउंली, 'स्वस्तिक' उपरांत तेना कोणोमां परिवर्धित भुजाओथी सर्जाता ‘अक्षय स्वस्तिक' (जीवाजीवाभिगमसूत्र आदिमां आवतां ‘अक्खय सोथिया')ना आकारे पण आलेखवामां आवे छे.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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