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अनुसन्धान-७१
प्रदेशसङ्ख्या अनन्तगुण जणावनारा टिप्पणकारश्री स्वयं अनुयोगद्वारसूत्र नां टिप्पणोमां अ ज वातनो विरोध करे छे, अने बने वखते अमने पूज्य आचार्यश्री जयघोषसूरिजी म.नुं समर्थन छे तेम जणावे छे !
आ बधी विचारणाने परिणामे अम समजाय छे के अनुयोगद्वारसूत्र मां अवक्तव्यकद्रव्यो करतां आनुपूर्वीद्रव्योना प्रदेशराशिने अनन्तगुण प्रतिपादित करनारो पाठ प्रामाणिक ज छे, प्रामादिक नथी. अने अटले आचार्यश्री अभयशेखरसूरिजी सूचवे छे तेम तेने बदलवानी जरूर नथी जणाती. बदलवा जतां पूर्वना श्रुतधर महर्षिओनी आशातना थई जवानो भय स्पष्टपणे भासे छे.
आ समग्र विचारणा 'आम पण विचारी शकाय' अवं सूचववा पूरती ज करी छे. 'आ आम ज होय' अवो कोई आग्रह नथी. तेम ज आ लखाण द्वारा कोईनुं पण खण्डन करवानो लेशमात्र आशय नथी. आ लखाणमां जो कोईपण क्षति जणाय तो ते सूचववा माटे नम्र विनन्ती.
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