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अनुसन्धान-७१
उत्तरोत्तर पूर्वनी वर्गणा करतां असङ्ख्यात भाग जेटली ओछी द्रव्यसङ्ख्या होय छे. जेम के प्रथम वर्गणामां जेटला परमाणुओ छे तेमना करतां बीजी वर्गणामां व्यणुको ओछा छे, अने तेमना करतां त्रीजी वर्गणामां त्र्यणुको ओछा छे. पण आ घटाडो प्रमाणमां अटलो नानो होय छे के तेने नजरअंदाज करीओ तो, उत्कृष्टसङ्ख्याती वर्गणामां, प्रथम वर्गणामां जेटला परमाणुओ छे तेटला ज, उत्कृष्टसङ्ख्येयप्रदेशिक स्कन्धो छे अम कही शकाय.
हवे प्रथम वर्गणामां रहेला परमाणुओनी सङ्ख्याने आपणे P सज्ञा आपीओ तो बीजी वर्गणामां Px2 जेटलो प्रदेशराशि, त्रीजी वर्गणामां Px3 जेटलो प्रदेशराशि अम गणी शकाय. तेथी तमाम सङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनो कुल प्रदेशराशि Px(2+3+4...+S) जेटलो थशे. आमां s = उत्कृष्ट सङ्ख्यातुं समजवानुं छे. आ सङ्ख्या P करतां असङ्ख्यातगुण थशे ते स्पष्ट छे. केम के S+1 पण जघन्य असङ्ख्यातुं थाय छे. तो 2+3+4....+S तो क्यांय पहोंचे. अटले P करतां Px(2+3+4....+S) तो असङ्ख्यगुण ज थवावं. मतलब के परमाणुओना कुल जथ्था करतां सङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनो कुल प्रदेशराशि असङ्ख्यगुण ज थवानो.
टिप्पणकारश्रीनी आ ज गणतरीने जो आपणे आगळ वधारीओ तो, तमाम असङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनो कुल प्रदेशराशि Px[(S+1)+(S+2)+ (S+3)....+A] जेटलो थशे. आमां s अटले उत्कृष्ट सङ्ख्यातुं अने A अटले उत्कृष्ट असङ्ख्यातुं समजवानुं छे. आ सङ्ख्या P करतां अनन्तगुणी थशे ते नक्की छे. केम के A+1 पण जघन्य अनन्तुं थाय छे. तो S+1+S+2+ S+3....+A तो क्यांय पहोंचे. अटले P करतां Px[(S+1)+ (S+2)+(S+3) ....+A] अनन्तगुण थाय ते समजाय तेवू छे. मतलब के परमाणुओना कुल जथ्था करतां तमाम असङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनो कुल प्रदेशराशि अनन्तगुण ज थाय ते देखीती वात छे.
अलबत्त, दरेक वर्गणाओ द्रव्यराशि, पूर्व जणाव्युं तेम, उत्तरोत्तर असङ्ख्यातभागे घटतो जाय छे. आ घटाडो असङ्ख्य वर्गणाओ मूळ राशिना अर्धभाग जेटलो होय छे. तेथी असङ्ख्याती वर्गणाओमा असङ्ख्यवार मूळ राशिनो अडधो भाग थाय छे. अटले असङ्ख्यातप्रदेशिक स्कन्धोनो कुल