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ओक्टोबर-२०१६
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आरती न्हवण ऊतारइ बलिका, च्यारि नारि अपछरा चमरहारिका । मेघडंबर ऊपरि लहिकइ, सीकरी सरिस वेस झबूकइ ॥२८॥ ईया० संघ मिल्या सुर नर विद्याधर, सहस बत्रीसइ देवालां सधर, महाधर सहस बत्रीस । पट्टकूल चुरा उछाड्या, उत्तंग तोरण घण गूडर ताडिया, बाल्या विस्तरवासो ॥२९॥ चक्कवइ हरिख थयु हईइ, चक्कवइ ति आरति सामहइ । चक्कवइ प्रथम शासनसंघवी, प्रथम यात्रा भरथिं दाखवी ॥३०॥ ईआ० अलंब धजा दस कोडि निरंतर, लाख चुरासी तुरंगम मनोहर, अवर छन्नूवइ कोडि । लाख चुरासी गयवर गुडीया, लाख चुरासी रथ धडहडीया, जडीया सुभट सुजोड ॥३१॥ बद्ध नाटक बत्रीसइ छाजइ, मधुर पंच शबद आगलि वाजइ । जय करइ जनबंदी राउली, सहस चुसठि भणइ बिरदाउली ॥३२॥ ईया० वाजित्र वाजइ नाद न चूकइ, गयणंगण नीसाण ध्रसूकइ, ढूकइ लाख चुरासी । पायक छनूं कोडि वखाणउ, छत्रीसइ दंडायुध आणउ, जाणइ शर्म अभ्यासी ॥३३॥ सामुहि सुहड सुभटसिउं ताई, पुत्र पौत्र मिलइ कोडि सवाई ।। सहस चुसठि सुखासणि आणी, सामुहि सहस चुसठि राणी ॥३४॥ ईया० वारांगना वछेद बोलावी, एक लाखनइं सहस अठावीस, आवी करइ शिणगारो । वारांगनइ अनइ पटराणी, एक लाख बाणूं सहस वखाणी, राणी एवं कारइ ॥३५॥ मिलीय सुंदरि मंदिर विमांसइ, देव भोग निज अंगि उलहासि । तातरइ सयल सुकि साहेली, सामहि सकल पुण्य गहेली ॥३६॥