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________________ १२४ अनुसन्धान-७१ श्रीअझाहरा-पार्श्वनाथ-स्तवन (राग - मल्हार) पास अझाहर जिन नमुं, आणी अधिक आनंद । मुझ मनमां उमाहलो, जोवा तुझ मुखचंद. पास. ॥१॥ महेर करी मुझ उपर, दीजइ तुम्ह दीदार । सेवक संकट सवि टलइ, मलई संपद सार ॥२॥ निशदिन तुझ ध्यानइं रहुं, कहुं ओक ज वात । मात तात सवि ते अछइ, जे वामाजात ॥३॥ नाम जपुं नित ताहरूं, जिम मेहनई मोर । मधुकर समरई मालती, जिम चंद चकोर ॥४॥ सुरतरु सुरमणि सुरलता, सुरघटि सुरगवि जेह । वंछितपूरक सहुतणा, तिम तुं पूरइ तेह ॥५॥ हरिहर देवपणुं धरई, पणि तुझ सम नहि देव । कमठशठी हठनइं सम्यो, दम्यों काम कुदेव ॥६॥ तुझ महिमा महियल रमई, समइ बहु दुख ताप । सुरनरदानवकिनरा, करिं तुझ गुणजाप ॥७॥ धनि धनि आजना दिवसडो, जे तुझ दरिसण दीठ । अमीयभाँ तुझ नयनडां, हियडे हेज पइठ ॥८॥ उलट अंग धरी घणो, थूण्यो पास कृपाल । लखिमीविजय उवज्झायनो, तिलक नमइ तुझ बाल ॥९॥ ॥ इति श्रीअझाहरपार्श्वनाथ स्तवन समाप्तं ॥ * * *
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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