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________________ जुलाई-२०१६ १११ शती के अनेक दिगम्बर आचार्यों को अपने पूर्ववर्ती अनेक आचार्यों के नाम स्मरण में रहे और उन्हें आदर-पूर्वक नमस्कार भी किया, वे कुन्दकुन्द जैसे महान आचार्य को कैसे भूल गये ? । मेरी दृष्टि में इसके दो ही कारण हो सकते हैं, या तो वे उन्हें अपनी परम्परा का न मानकर किसी अन्य परम्परा का मानते हो, या फिर उनके काल तक कुन्दकुन्द का अस्तित्व ही नहीं रहा हो । भाई श्रीरतनचन्द्रजी ने माना कि गुणस्थान के सम्बन्ध में मेरा मत परिवर्तित हुआ है, परन्तु ऐसा नहीं है । आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रन्थों में न केवल गुणस्थान अपितु मार्गणास्थान और जीवस्थान की चर्चा भी है । न केवल चर्चा है, उनके पारस्परिक सहसम्बन्ध की ओर सङ्केत भी है । श्वेताम्बर आगमसाहित्य में भी एक अपवाद को छोडकर जहाँ उन्हें 'जीवठाण' कहा गया है, गुणस्थान की कोई चर्चा नहीं है । श्वेताम्बरों के समान षट्खण्डागम में भी प्रारम्भ में गुणस्थानों को 'जीवठाण' ही कहा गया है । तत्त्वार्थसूत्र में तो कहीं भी गुणस्थान की चर्चा नहीं है । जबकि कुन्दकुन्द उसकी चर्चा करते हैं । जिन दस अवस्थाओं का तत्त्वार्थ के ९ वें अध्याय में उल्लेख है, वे भी गुणस्थान की अवधारणा कि विकास के पूर्व की हैं, और षट्खण्डागम के कृतिअनुयोगद्वार के परिशिष्ट में पाई जाती हैं, वे ही दोनों गाथाएँ आचाराङ्गनियुक्ति में यथावत् है । मैं तो मात्र यह कहना चाहता हूँ कि यदि १४ गुणस्थानों की अवधारणा उमास्वाति के पूर्व थी, तो उन्होंने उसे क्यों नहीं अपनाया ? क्यों मात्र दस अवस्था की चर्चा की, चौदह की क्यों नहीं की ? । जैनदर्शन और उसकी तत्त्वमीमांसा और ज्ञानमीमांसा में अनेक अवधारणाएँ कालक्रम में विकसित हुई है । जैसे पञ्चास्तिकाय से षद्रव्य और तीन प्रमाणों से छह प्रमाणों की अवधारणादि । तीन त्रस और तीन स्थावर से पंच स्थावरों और एक त्रस की अवधारणा का भी कालक्रम में विकास हुआ है । अत: गुणस्थान, मार्गणास्थान, सप्तभङ्गी आदि की सुस्पष्ट अभिव्यक्ति के आधार पर आचार्य कुन्दकुन्द ईसा की छठी शती के बाद ही कभी हुए हैं । मर्करा अभिलेख को डॉ. हीरालालजी,
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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