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________________ १०८ अनुसन्धान-७० रखते हैं, वही कुछ अन्य विद्वान् उन्हें विक्रम की सातवीं या आठवीं शती के मानते हैं । इनमें से किसे सत्य माना जाये, यह निर्णय अतिकठिन I I है । फिर भी उनके लेखन में प्रस्तुत संकेतों या' अवधारणाओं के आधार पर उनके कार्यकाल का निर्णय सम्भव है । सर्वप्रथम नन्दीसङ्घ- पट्टावली के आधार पर डॉ. रतनचंदजी और हार्नले आदि कुछ पश्चिमी विद्वानों ने उन्हें ई.पू. या ईसा की प्रथम शताब्दी का माना है, तो दूसरी ओर प्रो. ढाकी, दिगम्बर आचार्यों द्वारा सातवीं तक उनका उल्लेख भी नहीं करना, कुन्दकुन्दान्वय के सभी अभिलेखीय एवं साहित्यिक प्रमाण सातवीं शती के बाद के होने के आधार पर उन्हें विक्रम की सातवीं-आठवीं शती या उसके भी बाद के मानते हैं । मैंने भी अपने पूर्व लेखों में प्रो. ढाकी का समर्थन करते हुए और उनके द्वारा कथित सप्तभङ्गी, गुणस्थान, मार्गणास्थान और जीवस्थान तथा इनके पारस्परिक सम्बन्ध की स्पष्टता के आधार पर इन्हें पांचवीं शती के बाद के ही माने हैं । कुछ दिगम्बर विद्वान उन्हें पूर्वापर दोनों तिथियों के मध्य रखते है । यथा प्रो. हीरालालजी ने उन्हें ईसा की द्वितीय शती के मानते हैं । पं. नाथूरामजी प्रेमी ने भी नियमसार की गाथा के 'लोकविभाग' शब्द को आधार बनाकर लगभग उनका समय विक्रम की छठीं शती स्वीकार किया है । पं. जुगलकिशोरजी मुख्तार ने यह माना है कि कुंन्दकुन्द ई. पूर्व सन् ८ से ई. सन् १६५ के बीच स्थित थे, अर्थात् ईसा की दूसरी शती में हुए । पं. कैलाशचन्दजी मर्करा अभिलेख के आधार पर उन्हें ईसा की तीसरी-चौथी शती के मानते हैं । वह पट्टावली, जिसके आधार पर कुन्दकुन्द को ई. पू. प्रथम शताब्दी में रखा जाता है, वह बहुत ही परवर्ती काल की है । उसका रचनाकाल विक्रम संवत् १८०० के आस-पास है । इस प्रकार अपने से अठारह सौ वर्ष पूर्व हुए व्यक्ति के सम्बन्ध में वह कितनी प्रामाणिक होगी, यह विचारणीय है । मैंने ही नहीं, अपितु दिगम्बर जैन विद्वान् पं. जुगलकिशोरजी मुख्तार ने भी इस पट्टावली को अप्रामाणिक माना है । वे लिखते हैं कि "इसमें प्राचीन आचार्यों का समय और क्रम बहुत कुछ 1
SR No.520571
Book TitleAnusandhan 2016 09 SrNo 70
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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