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मार्च - २०१६
त्याग करीने जे नित्य रामनाम भजी रह्या छे अवा दूल्हेरामजीने हुं वन्दन करूं
नमो गगंनदा तास पोता बरेष्टं, भजै रांम नीको सदा मुख श्रेष्ठ, भया जनम जोगी तज्यां भोग रोगं, सज्यां सील संतोष समता सजोगं, तज्यां काम क्रोधं सदा जोगधाम, करै ब्रह्म चरचा भजै रामनाम, नित नित गावै भज्यां आस बासं, नमो चत्रदासं नमो चत्रदासं.... २८
(गगनदासजीना वरिष्ट पौत्र अने सदाये श्रेष्ठ मुखथी रामनुं भजन करनारा, जनम जोगी, जेमणे भोग रोग तजीने शील, समता, संतोष अने योग धारण कर्यां छे, काम, क्रोध तजीने कायम योगधाममां वसवाट करनारा अने रामनाम भजतां ब्रह्मचर्चा करनारा, नित्य भजन गानारा ओवा चत्रदासजी/ चतुरदासजीने हुं वंदन करुं छु.)
उदै अरक ग्यांनं सभानं वखानं, हरै तिमिर अग्यं स ग्यांनं प्रमानं, माहा तेज नूरं प्रकासं करेही, गरु मोर ब्रह्म बखानं बिदेही, दिपै दांत क्रांती हरै भ्रम भ्रांती, उदै धरम सारं असारं प्रहांती, करी साहि मोरी हरी सरबे भासं, नमो नरांनदासं नमो नरांनदासं... २९
(ज्ञान रूपी सूर्यनो उदय थतां सकळ सभा जेमना वखाण करे छे, जे अज्ञान रूपी अंधकारनो ज्ञानना प्रमाणो आपी नाश करे छे अने महातेज प्रकटावे छे, एवा मारा ब्रह्मने वखाणनारा विदेही गुरुजननी दंतकान्ति तमाम भ्रम अने भ्रान्तिनुं हरण करनारी छे, असार रूपी अंधारामां धर्मना सार रूपी सूर्यनो अजवास रेलावनारा, मने सहाय करीने मारा सर्वे भास-आभास दूर करनारा एवा नारायणदासजीने हुं वंदन करूं छु.)
नमो हरिदांसं गुरु मोर स्वामी, निजानंद रूपं लहै अंत्रजामी, जिते जीव उपरि क्रिपा-द्रिष्ट हेरै, तिते भवपारै गई तजि फेरै, रटै राम नांमं तजै क्रोध कामं, सबै धर्म पुज्यं भलै प्रजा धाम,
जैसे आप आप भओ बंसतासं, नमो हरिदासं नमो हरिदासं... ३० _ (मारा स्वामी अने गुरु एवा हरिदासजी के जेओ अंतर्यामी निजानंद रूप लईने तमाम जीवो उपर कृपादृष्टि करे छे त्यारे जन्म मरणना फेरा टळी