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अनुसन्धान- ६९
छंद - भुजंगी
नमो आप उदोत आनंदकारी, तुम्है चरण में पांमि लैसौ मुरारी, असो धरम धार्यो तिहूं लोक सारं, लीयो राम नामं भओ जगपारं, लीयां बुधि भारी दयावंत पूरा, माहा सीलधारी इन्द्रीजीत सूरा, सदा सुख दाई सकल पाप हरणं, नमो रांमचरणं नमो रामचरणं... २५
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(आनंदकारी रीते ऊगेलां, प्रकट थयेलां आपना चरणनी वंदनाथी सौ परमात्मानी प्राप्ति करी शके छे ओवा त्रणे लोकमां धर्मने प्रसरावनारा, रामनाम लईने जगत पार करनारा, विशाळ बुद्धि धरावनारा अने पूर्ण दयावंत महा शीलधारी, ईन्द्रियजीत शूरवीर, सदाये सुखना दाता अने सकळ पापोनुं हरण करनारा ओवा रामचरणजीने हुं वंदन करुं छं.)
नमो संत स्वामी ईसा अह धारी, जिसी आप भाखी गिरा सो उचारी, महंत पदी पाई तोही मन नेही, धर्या ध्यान नीको जिवको सनेही, अह ब्रह्मग्यांनं अचाही निर्मोही, माहां स्वामि धीरा सदा त्याग वोही, नही दुद जाकै जगत जीव तरनं, नमो रांमजंनं नमो रांमजंनं.... २६
(स्वामी / गुरुदेवनी ईच्छा होय ते ज धारण करनारा, गुरुदेवे जे भाख्यं होय ते ज उच्चारनारा, महंतपद मळ्युं होवा छतां जेमणे मनमां नथी राख्युं अने ध्यान धरीने तमाम जीवोने स्नेह आप्यो छे ओवा ब्रह्मज्ञानी निर्मोही, महा त्यागी, धीरजवान, संसारना जीवोने तारवा जेमना चित्तमां कशाये द्वन्द्व नथी ओवा रामजन स्वामीने हुं वन्दन करूं छु.)
नमो आप रूपं लीयं क्रान्ति भारी, दिपै ज्युं दिनेसं सबै सुखकारी, हदै राम नांमं मुखां नूर झलकै सबै तुष्ट पुष्टकं भू तांहि झलकै, अह संत सुधांमी सबै अक जानैं, तज्यां राग दोषं नहीं मनं आंनै, नही स्वाद खादं भजै रांम नांमं, नमो दूल्हैरांमं नमो दूल्हैरांम... २७
(आपनुं उजासभर्युं कान्तिवान रूप जे सूर्यनी माफक तमामने सुख आपतुं झळहळी रह्युं छे, हृदयमां रामनाम अने मुख पर तेज झळके छे, तमामतुष्टि अने पुष्टि प्राप्त थई रहे छे ओवा संत जे तमाम धामने ओक माने छे, जेमणे राग दोष तज्या छे अने कदीये मनमां आणता नथी, भोजनना स्वादनो