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अनुसन्धान-६९
(रामचरण महाराजनी गादीओ बेसीने रामजन महाराजे पण गुरुना चीले चालीने रणमां-वनोमां वास कर्यो, सम्प्रदायना श्रीमहंत तरीके महापुरुष- मन जीतीने अमना शरणमां रहीने, रामचरण गुरुनी कृपाओ मस्तक पर सिद्धिनो सेहरो धारण करीने जगतना जीवोने रामनाम रूपी धननी ल्हाणी करे छे अम जगन्नाथ कहे छे.) कबित -
रामचरन पद लींन तीन गुन मांहि समाया रहे सजीवन सबद अमर भई जिसकी काया, पार्छ सिख बहु बूंद दिपै केता रवि जैसे, .
ओर अधिक ईक कहूं रामजन मुखीया ऐसे, ज्युं नारद हरि गोड हनूं रघुनाथजी की, उधव क्रष्ण समीप प्रगट गति जैसी दीखी पंथनार आखर लीयां सब मुरजाद निधांन
जगनाथ मैं कहा कहूं करणी तणों बखांण... २० .
(रामचरण गुरुना चरणकमळमां लीन थयेला, जेमनामां त्रणे गुणो समाविष्ट छे, जेमनी काया अमर थई छे अने शब्दो सजीवन थया छे जेमना पछी सूर्य समान अनेक शिष्यो दीपी रह्या छे अवा मुखी रामजन केवा छे ? जेम श्रीहरि विष्णुना सेवक नारदजी, श्रीरामचन्द्रजीना सेवक हनुमानजी, श्रीकृष्णनी समीप रहेनारा उद्धवजी जेवी गति धरावनारा मर्यादाना सागर समान श्रीरामजनजीनी करणीना वखाण हुं जगन्नाथ कई रीते करी शकुं ?) कुंडल्या -
रांमचरण अरु रांमजन अक अंग तन दोई, खीर नीर ज्युं ओक रसि भेदाभेद न कोई, भेदाभेद न कोई उभै अकां धरि बासा, रांमचरण के ध्याई रांमजन करै प्रकासा, जगंनाथ हरिजन मलां, गुरु सिष जांनो कोई रामचरण अरु रांमजन ओक अंग तन दोई.... २१