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________________ मार्च - २०१६ दुःख हरन कीन्हो सही मेट्या दीरघ रोग, सो अब निश्चे करत है ब्रह्म बिलासी भोग... १७ (कळियुगमां श्रीरामचरण महाराज उजागर थया, रवि/सूर्य समान प्रकाशी भ्रमणाओना अंधकारने मिटावी ज्ञानरूपी प्रकाशनां किरणो रेलाव्यां छे, जगतना जे जीवो दुःखी हता अमने सदैव सुख प्रदान कर्यु, दीर्घ रोग मटाडी दुःख हाँ तेओ हवे निश्चे ब्रह्मविलास भोगवी रह्या छे.) छंद - मनहर - नांमदेव कबीर भये उजागर अनेक संत जैसे संतदास प्रगट दयाल जू जाकी गादी जन क्रिपाल यूं हवाल रीत मांनों जानों नीर पंकज कबीर के कमाल जू, ताके सिख रामचरण उदे आदीत जैसे सरणि जीव त्यारे किते दई भगति चाल जू, . जगनाथ वांके सिष रामजन वाही रीत नीति धरम लीयां सारी गति गरु हाल जू.... १८ (अनेक उजागर संतोमां नामदेव, कबीर जेवा स्वामी संतदास दयाळु प्रगट थया, जेवी रीते कमळमांथी प्रकट थयेला कबीरनी परम्परामां कमाल थया, तेम तेमनी गादीओ जनक्रिपाल/कृपारामजी आव्या, अमना शिष्य सूर्य समान रामचरणजीनुं प्राकट्य थयुं अने शरणे आवेला अनेक जीवोने भक्तिनुं रहस्य समजावीने तारी दीधा. जगन्नाथ कहे छे के अमना शिष्य थया रामजनजी, जेमणे गुरुजी पासेथी नीति धर्मनी शीख प्राप्त करी.) कुंडल्या - रांमचरण माहाराज की गादी रांम ही जन सतगुरुका चील्हा चलै बास कीयो रन बन, बासि कीयो रन बंन पंथ सिर महंत कहीजे, महापुरसं मन जीत तास के सरण रहीजे, सिख सिधां सिर सेहरो सिर पर राम चरन जगंनाथ जग जीवकू राम नाम दे धंन... १९
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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