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अनुसन्धान-६१
फिरो च्यार खूट पुरी श्रष धामं, धरो मुनि बोलो करो जिग नाम, खणो ताल वापी खाती समाज, बिनां रामचरणं कही काज साज... १४ गुरे द्वारि जोधा किते भूप ठाठे, सुता सुत बंधु त्रया रुप चाढे, सुखपाल संन्या रथां बाजिराजं, बिना रामचरणं कही काज साज... १५ ,
(जेमनी बुद्धि विशाळ छे, पूर्ण दयावंत छे, महांशीलधारी इन्द्रियजीत शूरवीर छे, सदाये सुख देनारा छे, सकळ तापोर्नु हरण करनारा छे, अवा रामचरण गुरुने हुं वंदन करूं छु. जगन्नाथ कहे छे के हुं क्यां लगी गाउं ? तमाम लक्षणोथी युक्त धारुं छतां अमनो पार पामी शकुं तेम नथी, आपनो महिमा यथाशक्ति गावा माटे आपनुं शरण लईने उच्चारुं छं के मारा रामचरण गुरुने हुं वारंवार वन्दन करुं छु. गमे तेटलां भूमिदान, सुवर्णदान, खूटे नहीं ओटली गायो भेळी करीने गौदान आपीओ, रेशमी पटोळां-वस्त्रो सहित राजपाटनुं दान करीओ पण रामचरण कह्या विना, सतगुरुनुं शरण लीधा विना कोई काम सरतुं नथी. सप्त पुरी चार धामनी यात्रा करीओ, मौन धारण करीओ के सतत नामस्मरण बोल्या करीओ, लोक समाज खातर तळाव के कूवा खोदावीओ पण सतगुरु रामचरणजीनुं शरण लीधा विना कोई काम सरतुं नथी. गुरुजीना द्वारे केटला ये योद्धा, केटला ये राजा महाराजा दीकरा, दीकरीओ, भाईओ, राणीओ साथे रथो हाथी घोडा सुखपाल सेना धरवा आवे छे, कारण के सतगुरु रामचरणजीनुं शरण लीधा विना कोई काम सरतुं नथी.) दोहा -
कलिजोगमें ओतारि धरि, श्रीरामचरण माहाराज, ग्यांन भगत वैराग दे, बांधी भगतसुं पाज... १६
(श्रीरामचरण महाराजे कळियुगमां अवतार धारण करीने ज्ञान, भक्ति, वैराग्य आपी आपीने आ जगतमां भक्तोना समुदायनी पाळ बांधी दीधी छे.) कवित -
श्रीरामचरणि माहाराजि कलि मही भो उजागर, रिव जैसे उदोत माहा परकासी आगर, . भरम तिमर कू मेटि माहा परकास जु कीन्हो, हुते दुःखी जग जीव तिनाकू सद सुख दीन्हो,