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________________ मार्च - २०१६ ८३ जगत हजारा ब्रिद मिलि धनि धनि करांणी, गरवा सतगुरु परसतां सब सूंझ मिलांणी, जाका संग परतापसूं टली हे जमदाणी, जगंनाथ देखी कहै अह सति निसांणी... १० (रामचरण गुरुने ब्रह्मसाक्षात्कार थयो छे अम अनेक लोको कही रह्या छे. ए साईं के जूठं अनो निर्णय वचनना प्रमाणथी थई शके. पोताना सतगुरुनी कीति पोताना मुखथी सौ वखाणे, पण रामभजनना प्रतापथी आखं जगत जाणे छे. तीव्र वैराग्य लईने .... जेम प्रिया अक ज होय अम सत अंक ज होय अवी अमनी निर्मळ, निर्वाणी, निःसंशय, निर्वासना भरी साधुताने लोकसमुदाये परखी छे अने बिरदावी छे. पोताना व्रत मुजब भोजन लेनारा, बीजा कोईनी आशा नहीं करनारा, राजा राणी सहित सकळ जगत जेने पाय पडे छे, तमाम प्रकारनां सुखो हाजर होवा छतां जे फूलाता नथी, जगमां तरनारानी कदी धीज (कसोटी/परीक्षा) करवी नहीं अवो मनमा संकल्प करनारा, त्रणे लोकनी संपत्ति पाम्या होवा छतां जेमणे तृष्णाने टाळी छे अने आवा कळियुगना घोर अंधकारमा हरिभक्ति चलावी छे, आठो प्रहर जे भक्तिमां नहीं तो ध्यानमां लीन रहे छे, रामसुधारस जे पीवे छे अने सौने पाय छे अवा रसिक सदगुरु, देश देशमां प्रगट बहोळा प्राणी वृन्दोना तोलमापमां आवता नथी ओ अकथ कहाणी छे. जगतना हजारो वृन्द मळी धन्य धन्य ओम उच्चारे छे ओवा गरवा सतगुरुनो स्पर्श थतां तमाम सूझ/जाणकारी/ज्ञान मळी जाय छे, जेनी संगतना प्रतापे यमराजाना दाण/कर टळी जाय छे ओवी सत निशानी जगन्नाथे जोई छे अने अटले ज कहे छे.) छंद - भुजंगी - बडी बुधि भारी दयाबंत पूरा, माहा सीलधारी इंद्रीजीत सूरा, सदा सुखदाई सकल ताप हरणं, नमो रामचरणं नमो रामचरणं. ११ कहै जगनाथ कहा लगि गांउं, सबै लच्छि धार्या नही पार पांउ, नही तोर महैमा जथा सकति चरणं, नमो रामचरणं नमो रामचरणं. १२ . काहा भोमदानं तुला हेम दीज्ये, करी धेन अखन री दांन कीज्ये, - पटू पाट बसतर करै दान नाजं, बिना रामचरणं कही काज साजं... १३
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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