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मार्च २०१६
सकत० १४
सहु कोइ लाभ घणो दीये रे, जीवदया प्रतिपाल में तो (?) श्री लेख पठावीयउ रे, आजजी (?) वेगा पधार सकत० १५ इण आरे दुसम समय रे, जिणे मोटी करणी कध श्रावक नित पोसह करे रे, श्रावकणी वहइ उपधान संवत सोल चउरासी रे, गायो बीकानयरे
सकत० १६
सकत० १७
सकत० १८
पूरांजी री शिष्यणी भणे रे, भगतांजी खरी जगीस, सकत मुनि वंदस्युं रे, माहरइ हियडे हर्ष अपार, धरउ दिन-दिन चढतां परिणाम रे, सकत मुनि वंदस्यु रे.
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सकत० १९
३. साध्वी श्रीजसोदाजी गीत (पंच इंद्री रे अहनिसि वसि करइ
सतीअ शिरोमणि साहुणिई, अनोपम गुण भंडारो जी; प्रहर उठीनई रे प्रणमुं हुं सदा, आपइ परम आणंदो जी. साध्वी जसोदाजी सीलई सुरनदी, सतीअ वदइ सहु कोइ जी; भवियण भावइं रे आणा सिर वहइ, वंदइ छइ कर जोडि जी साध्वी० २ ब्राह्मी - सुदंर - सीतानी परिइं, ओपम लहइ अभिरामो जी; नामईं पातक नासइ वेगला, नमतां सिवसुख होइ जी. नवकारसी पोरसि प्रमढ एकासणउ, नीवी अंबिल वासो जी; छठ तप अंतरि आवइ पारणउं, ल्यइ दोषरहित आहारो जी. साध्वी० ४ पहिलइ पहुरि सज्झाय सिद्धांतनउ, बीजइ धरइ सुभ ध्यानो जी; त्रीजइ पहुरई जी करइ गवेषण, चउथइ सज्झाय ज्ञानो जी. संयम सूधउ रे पालइ साधवी, निज ( जिन) आणासउं मन लीनो जी; जयणा पालइ रे सघुला जीवनी, समकित साधइ दीवो जी. साध्वी० ६ भवजल तरिवा रे नावा अभिनवी, उलखइ भवियण लोइ जी; उवज्झाय हीरानंदचंद शिष्य ठाकुर वीनवइ,
साध्वी० ५
तुम्ह नामिदं नवनिधि होइ जी.
इति श्री साधवी श्री ५ जसोदाजी गीतं
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एहनी ढाल)
साध्वी०
साध्वी० ७