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________________ १७४ अनुसन्धान-६९ ओक सम्बन्ध जोडाशे के आवा स्वरूपवाळो पदार्थ ठंडीथी बचावे छे. हवे आ पुरुषने ज्यां सुधी अग्निनो बराबर अभ्यास नथी थई जतो त्यां सुधी, अग्निने जोइने, पूर्वज्ञानना सादृश्यथी ते ज्ञानना प्रामाण्य- अनुमान करीने, अग्निविषयक अर्थक्रियामां प्रवृत्ति करशे. अभ्यासदशामां तो अनुमान वगर पण प्रत्यक्षथी ज प्रवृत्ति थई शके छे. माटे अभ्यासदशामां तो स्वतः प्रामाण्यनिश्चय अमे स्वीकारीओ छी; पण अनभ्यासदशामां तो संवाद वगर प्रामाण्यनो निश्चय शक्य नथी ज, माटे त्यां तो परतः प्रामाण्य ज स्वीकारवं जोइओ. ___प्रमाणभूत ज्ञान पछी ते ज्ञानमां अप्रामाण्यनी आशङ्का जन्मवामां कारणभूत बाधकज्ञान के कारणदोषज्ञान नथी थतां, माटे त्यां अप्रामाण्यनी आशङ्का न जन्मी शके ओ वात पण बराबर नथी. केमके अप्रमाण स्थळे पण क्यारेक अमुक समय सुधी आवां ज्ञानो न जन्मे तेम बनी शके. त्यारे ते ज्ञान 'प्रमाण' तरीके ज जणाय छे, अने पाछळथी बाधकज्ञान व. जन्मतां खबर पडे छे के वास्तवमां तो ते अप्रमाण हतुं. तेथी व्यक्तिने प्रमाणभूत ज्ञान स्थळे पण तेवो संशय जन्मी ज शके के "खरेखर आ ज्ञान प्रमाण छे, माटे बाधकज्ञान व. नथी, के बाधकज्ञान व. मने जणातां नथी?" अने आ संशय प्रामाण्यसंशय पण जन्मावी ज शके. अने ओ संशयनुं निरसन करीने प्रामाण्यनो निश्चय करवा माटे संवादज्ञाननी जरूर पडे ज. माटे अमे परतः प्रामाण्य स्वीकारीओ छीओ. कार्यमा प्रामाण्यनुं स्वतस्त्व : (-मीमांसक) 'प्रमाण' शब्द बे अर्थमां वपराय छे - १. प्रमारूप ज्ञान २. प्रमारूप ज्ञान- जनक.' ज्यारे प्रमारूप ज्ञानने 'प्रमाण' तरीके ओळखीओ त्यारे ते प्रमाणमा रहेलुं प्रामाण्य (-यथार्थता) क्याथी प्रगटे छे अने केवी रीते जणाय छे, तेनी चर्चा थाय छे. अने ज्यारे प्रमाना करण तरीके 'प्रमाण'ने ओळखीओ त्यारे ते प्रमाण कई रीते प्रमाने जन्मावे छे ते विशे चर्चा थाय छे. अने ते 'कार्ये प्रामाण्यचर्चा' तरीके ओळखाय छे. प्रामाण्यवादना साहित्यमां अकाद अपवादने बाद करतां आ चर्चा लगभग जोवा मळती नथी. केम के ज्ञप्ति अने उत्पत्तिनी चर्चामां ज ते प्रायः समाई जाय छे. छतां सन्मति० वृत्तिमां तेनी चर्चा १. 'प्रमाकरणं प्रमाणम्' आवी व्युत्पत्ति करवाथी आवो अर्थ प्राप्त थाय छे.
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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