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________________ मार्च २०१६ अ सीडियोथी ओक तरफ थोडुं चालतां पहाडनी टोच पर रामचन्द्रना सुपुत्र लव अने कुशनुं निर्वाण स्थान, तेने साक्षात् मोक्षमहल अने ओ पहाड परथी ५ कोटि मुनि मुक्ति पधार्या !! जणावे छे. " रामसुवा वेण्णि जणा लाडणरिंदाण पंच कोडीओ पावागिरिवरसिहरे णिव्वाणगया णमो तेसिं ॥" ― १४५ आ माहितीने आधारे लागे छे के केटलाक मन्दिरोने दिगम्बरोओ हाथ करी पोताना मन्दिरोमां परिवर्तित करी नाख्यां छे. पुस्तक - २ 'जैन तीर्थ सर्व संग्रह ' भारतभरनां जैन तीर्थो अने नगरोनुं औतिहासिक वर्णन, भाग-१, पृष्ठ. १९-२० दुष्काळना विकट वर्षमां शाह बिरुदनी शोभा वधारनार खेमाशाहना रासमां वि.सं. १७२१मां कवि लक्ष्मीरले पावागढनुं वर्णन करतां जणाव्युं छे के "गुर्जर देश छे गुणनीलो, पावा नामे गढ बेसणो मोटा श्री जिन तणा प्रसाद, सरग सरीशुं मांडे वाद वसें सेहर तलेटी तास, चांपानेर नामे सुविलास गढ गढ मंदर पोल प्रकाश, सप्त भूमिमां उत्तम आवास. " पावागढ -उपर अगाउ श्वेतांबरीय १० जिनमन्दिरो हता ओवो उल्लेख मळे छे पण आजे मांनुं ओके हयात नथी. गढ उपर पडेलां अवशेषो ओनी खातरी करावे छे. आ मन्दिरो पैकी अक मन्त्रीश्वर तेजपाले 'सर्वतोभद्र' नामनुं कामय मन्दिर बन्धावी प्रतिष्ठा करावी हती. ओम 'वस्तुपालचरित्र' उल्लेखे छे. मांडवगढवासी वेल्लाके जे तीर्थोनी यात्रा करी तेमां पावागढना सम्भवनाथ भगवानने वांद्यानो (नमस्कार कर्यानो) उल्लेख मळे छे. शेठ मेघाओ आमां ८ देवकुलिकाओ बनावी हती.
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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