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________________ मार्च - २०१६ १३९ जोवा मळे छे. हवे, पछी आगळ विसामो आपे अर्बु भाताखातुं छे. त्यां बधी दिशामां विविध प्रकारनी वेलडीओ छे, अने खीलेला फुलेला पुष्ट करावे ओवा फळो अपार प्राप्त थाय छे. सन्तोष आपे अर्बु सरस सरोवर शोभे छे. धन, कण, कंचन, रत्नना कोठार मनोहर शोभे छे. कुदरतनो आ आह्लादक करिश्मा जे हृदयना चित्त मोही ले अवा छे. मोह पामे अवी आ रचनाने जोईने मनुष्य त्यां विचारतो जाय छे विचारमां ने विचारमा अनुक्रमे बीजी पोळ आवे छे. बंने बाजु अति ऊंडी खीण तेमने जोवा मळे छे. जाणे, खरेखर कळयुगनी उपेक्षा करतां देवमन्दिरनां शिखरो शोभे छे, विशेषमा गगन- आंगणुं अकदम निर्मळ छे. त्यारे, तेमने दण्ड, कळश अने धजा झळहळ जोवा मळे छे. आ उपरांत मन्दिर शिखरना कळश नीचेनो भाग पण सुन्दर देखाय छे. अवा मनोभाव व्यक्त करतां सौ आगळ वधे छे. ज्यारे जिनभवन द्वार पर पहोंचे छे त्यारे धर्म मनोरथी अवा सर्वेनो हर्ष अपार जोवा मळे छे. त्रण जगतना नाथनी जे मूर्ति छे तेनी सतत पूजा करीश अने वारे-दिवसे मननो विकार दूर करीश ओवी भावना तेमनामां जागृत थाय छे. सेना. माताना उदरमा जन्मेला सम्भवनाथस्वामी भवनी भावठ दूर करनारा छे. मळेलो आ जन्मारो जंजाळमांथी मुक्त थवा जेवो लागे छे. पोताना नयने निरखीने हैयामां अपार हर्ष थाय छे अने प्रभुनी प्रसन्नतानी पूजा करीश ओवा भाव साथे तेओ प्रभु भक्तिमां जोडाय छे. नारीओ मनना आनन्दथी दहेरासरनी मध्यमां जिनेश्वर भगवानने जोए छे, अने सारा विचार करीने बोले छे – 'आजे अमृतरूपी मेघ वरसतो होय अq लागे छे. प्रवेशतां ज अमृत रसने अमे नयनमां धारण करीओ छीओ' आ रीते हृदयमां हर्ष धारण करी तेमनां नयन कृतार्थ थाय छे. धर्मनो परमार्थ जाणीने प्रभुना चरणमां पूजा रचावे छे. ओरसिया उपर चन्दनना रसने घसे छे, अमां केसर, कस्तूरी भेळवे छे. शिवसुखने आपनार, आत्मकल्याण करनार ओवा मूळनायकना अंगे लेप करी तेमनी पूजा करे छे. संभवनाथ जिनेश्वरना अंगे अर्चना करी हृदयमां कस्तूरी समान सोहामणुं सुख पामे छे. सकळ स्वामीने याद करता जे कोई
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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