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________________ १३८ अनुसन्धान- ६९ सौथी महत्त्वनी वात से छे के शिवजीनुं लकुलीशनुं ओ मन्दिर चांपानेरनुं सौथी जुनुं बांधकाम छे. छेक दसमी सदीनुं ओटले के १००० वर्ष पुराणु. चांपानेर पोते भले ७मी - ८मी सदीमां बंधायुं हतुं पण अ वखतना कोई बांधकामो रह्या नथी. आजनुं चांपानेर छे, ओ तो पंदरमी सदीनुं छे. जैन मन्दिर सहितना बीजा बांधकामो पण अहीं छे. चापानेर सङ्घ ओक बावन जिनालयवाळु बंधावेलुं मन्दिर जेमां अभिनन्दन प्रभु अने जीरावाला पार्श्वनाथ भगवाननी प्रतिमाओ मुख्य हती. ते अभिनन्दनस्वामीनी अधिष्ठायिका देवी तरीके कालिकादेवीनी स्थापना थई छे, ते देवी ज गुजरातना लोकहृदयमां कोरायेला गरबामां प्रतिष्ठा पामी छे. छेल्ला पांचसो वर्षथी शहेर समयांतरे खाली थतुं रह्युं छे. भारतना उत्तमोत्तम पुरातत्त्वीय बांधकामोमां स्थान पामतुं चांपानेर हवे तो साव खाली छे, मात्र खंडेरो ऊभा छे, ईतिहासनी कथा कहेवा माटे. प्रतमां मळेल माहिती प्रमाणे जैनधर्म पण त्यां अ समये विकसित हतो. आ चंपकनेर जे नेमिनाथ स्वामीनी उत्तम नगरी छे त्यां अने बीजा. शान्ति जिनेश्वर स्वामीने प्रणाम करीने चतुर्विध सङ्घ पोतानी काया सफळ करे. छे. ओ दिशामां गौरववंतो ओवो राजानो गढ छे. ज्यां अरिसिंघ राजा राज करे छे. " ओ दीसई गिरुउ गिरिह राय, जिहां राज करई अरिसिंघ राय" (विक्रमनी १२ मी सदीमां, "पावागढथी वडोदरामां प्रकट थयेला जीरावाला पार्श्वनाथ" पुस्तकने आधारे अरिसिंघ राजानो उल्लेख मळे छे. पृ. ९६. संभव छे के आ चैत्यपरिपाटी रचाई त्यारे त्यां अरिसिंघ राजानुं शासन होय.) सारा पर्वतनी श्रेष्ठ श्रेणीना पगथिया जोईने हवे आनन्द पामतां तेओ पगथियां चढे छे. आ रीते विलम्ब विना महा महिनामां गिरिनां दर्शन करे छे. वसंतपंचमीना आ महा मासमां बधां वृक्षो मोटा अने रसाळ छे, पण हृदयमां आंबो वसे वो छे. आगळ प्रथम पोळ आवी ज्यां राजाना भवननी पंक्ति जोवा मळे छे. मनोहर मढमन्दिरथी गिरि सुन्दर लागे छे. आसोपालवना पांदडानुं तोरण अने हरण जेवी सुंदर आंखोवाळं आसक्त थई जवाय ओवो मजलो तेमने
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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