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________________ ११४ अनुसन्धान-६९ ॥६० ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ नमो अरिहंताणं - माहरउ नमस्कार श्रीअरिहंत भगवंतनइ हुओ । किसा छइ ते अरिहंतजी ? ए अरिहंते राग-द्वेषरूपिया अरिवइरी जीता । अनइ अढारे दोषे रहित । किसा छइ ते अढारह दोष ? अन्नाण १ कोह २ मय ३ माण ४ लोभ ५ माया ६ रई य ९ अरई य ८। निद्दा ९ सोग १० अलियवयण ११ चोरिया १२ मच्छर १३ भया १४ य ॥१॥ पाणिवह १५ पेमकीला १६ पसंग १७ हासाइ १८ जस्स ए दोसा । . अट्ठारस वियणट्ठा नमामि देवाहिदेवं तं ॥२॥ ए अढारह दोषरहित अरिहंत भगवंत ज्ञानस्वरूप, केवलवरदर्शन, शांत, दांत, कृपासागर, त्रैलोक्यनाथ, जगत्त्रयगुरु, जगत्त्रयना पीहर, धर्मवर चक्रवर्ति, सांप्रतकालि महाविदेहक्षेत्रि, चउरासीपूर्वलक्षआयु, पांचसइ धनुषप्रमाण देह, वज्रऋषभनाराच संघयण, समचतुरस्र संस्थान, अष्टसहस्रलक्षणोपेत, सुरूप, सुंदराकार, चउत्रीसअतिशय विराजमान, पइत्रीस वचनातिशयसहित, अष्टमहाप्रातिहार्ये करी शोभायमान सिंहासन छत्रत्रय श्वेतचामर धर्मध्वजा पादपीठ धर्मचक्र देवदुंदुभी सहित, चउसट्ठि इंद्रमहित, सांप्रतकालि जंबूद्वीपि महाविदेहक्षेत्रि, श्रीसीमंधर स्वामि १ श्रीयुगमंधर २ श्रीभद्रबाहुस्वामि ३ श्रीसुबाहुस्वामि ४ ए च्यारि तीर्थंकर जंबूद्वीपे सुदर्शनमेरुनइ ए चिहुं पासे नमस्कार । श्रीसुजातस्वामि श्रीस्वयंप्रभस्वामि श्रीऋषभस्वामि श्रीअनंतवीर्यस्वामि ए च्यारि तीर्थंकर पूर्वधातकीखंडि विजयमेरुनइ चिहुं पासे नमस्कारुं । श्रीसूरप्रभस्वामि श्रीविमलस्वामि श्रीवज्रधरस्वामि श्रीचंद्राननस्वामि ए च्यारि तीर्थंकर पश्चिमधातकीखंडि अचलमेरुनइ चिहुं पासे नमस्करूं । श्रीचंद्रबाहु श्रीभुजगस्वामि श्रीईश्वरस्वामि श्रीनेमिप्रभस्वामि ए च्यारि तीर्थंकर पुष्करार्द्धि मंदरमेरुनइ चिहुं पासे नमस्करूं । श्रीवज्रसेनस्वामि श्रीमहाभद्रस्वामि श्रीदेवयशःस्वामि श्रीअजितवीर्यस्वामि ए च्यारि तीर्थंकर पश्चिमपुष्करार्द्धि विद्युन्मालीमेरुनइ चिहुं पासे नमस्करूं ।
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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