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मार्च - २०१६
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श्रीपंचपरमेष्ठिनमस्कारार्थ:
___ सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय गणि
'पंचपरमेष्ठिनमस्कारार्थः' नामनी आ कृतिनी रचना सं. १६१५ना वर्षमा गणधारिश्री जिनचंद्रसूरिजीना शिष्य श्रीसमयराज मुनिए करी छे. ३ पानामां समायेली आ कृति जूनी मारवाडी भाषामां छे.
कृतिमां अरिहंतादि पांचे परमेष्ठिने नमस्कार करवा साथे तेमना गुणोनुं विशद वर्णन करेल छे.
प्रथम अरिहंतना १८ दोष जणाव्या. ते पछी अरिहंतनुं विशेष स्वरूप तेमज वर्तमानकाले महाविदेहक्षेत्रमा विचरता २० विहरमान भगवंतोना नाम साथे वर्णन करवामां आवेल छे.
बीजा सिद्धभगवंतनुं वर्णन करता जणावे छे के ८ कर्मनी १५८ प्रकृतिनो जे क्षय करे ते सिद्ध थाय. त्यारबाद सौधर्मादिदेवोना विमानना आकारोनुं वर्णन करीने चौद रोजलोकनी उपर वर्तती सिद्धशिलानुं वर्णन करवामां आव्युं छे. त्यारबाद ५ श्लोक द्वारा सिद्धना जीवोनुं ८ गुणोनुं तेमज तेमना सुख- सुंदर वर्णन करेल छे.
त्रीजा आचार्यभगवंतनुं वर्णन ७ श्लोकथी करेल छे. प्रथम ४ गाथामां आचार्यभगवंतना जुदा जुदा गुणो जणावीने ५मी गाथामां प्रतिरूपादि-१४, क्षमादि१०, भावना-१२ - आ रीते ३६ गुणोनुं वर्णन करेल छे. ६-७मी गाथामां पांच इन्द्रियोनुं दमन करनारा - इत्यादि ३६ गुणोनुं वर्णन करेल छे.
आचार्यने स्तंभनी उपमा आपी छे. जेम मेडीने टकाववा स्तम्भ तेम गच्छने टकाववा स्तम्भसम आचार्यभगवन्त छे.
आचाराङ्गादि १२ अङ्गोना नामोल्लेख करीने जणाव्युं के आ १२ अङ्ग स्वरूप द्वादशाङ्गीने जे भणे अने बीजाने भणावे ते उपाध्यायभगवन्त कहेवाय छे. छेल्ले २ श्लोक द्वारा तेमना गुणोनुं वर्णन करेल छे.
अन्ते अढीद्वीपमां विचरता साधुभगवन्तोने नमस्कार करीने तेमना गुणोनुं बहुज सुन्दर वर्णन करेल छे. साधु केवो आहार ग्रहण करे, साधुनुं शरीर केq होई, तेमज अनेक उपमा आपवा द्वारा विशिष्ट गुणोनुं वर्णन करवामां आव्युं छे.