________________
मार्च - २०१६
११५
__ ए वीस विहरमाण अरिहंत भगवंत केवली प्रमुखनइ आपणइ परिवार परिवस्या हुंता । हिवडानइ कालि जयवंता वर्तइ । ते श्रीअरिहंत प्रतइ माहरउ नमस्कार, पंचमांग प्रणाम त्रिकालवंदणा सदा हुं ॥१॥
____ नमो सिद्धाणं - माहरउ नमस्कार श्रीसिद्धभगवंत प्रतइ हुओ । पुणि किसा ते सिद्धजी ? ए सिद्ध आठकर्म क्षय करी मोक्ष पहुता । ते आठ कर्म किसा क्षय कीधा ? ज्ञानावरणी १ दर्शनावरणी २ वेदनीय ३ मोहनीय ४ आयुष ५ नाम ६ गोत्र ७ अंतराय ८ ए आठकर्म अट्ठावनसउ प्रकृति क्षय करी सिद्धि पहुता ।
किहां छइ ते सिद्ध ? उर्द्धलोकि ज्योतिश्चक्र ऊपरि असंख्याता कोडाकोडि योजननी सौधर्मा देवलोक, ते आदि देईनइ बारह देवलोक ऊपरि बहेडानइ आकारि नव ग्रीवेयक, नव ग्रीवेयक ऊपरि पंच पंचोत्तर विमान विजय १ वैजयंत २ जयंत ३ अपराजित ४ ए च्यारि विमान चिहुं पासे अर्द्धचंद्रमानइ आकारि, पांचमउ विमान पूर्णचंद्रमानइ आकारि तेहनउ नाम सर्वार्थसिद्धि महाविमान । तेहनी ध्वजा पताका ऊपरि बारह योजन अधिकेरी ईषत्प्राग्भारा नाम पृथ्वी चउदरज्जुलोक ऊपरि वसनाडिनइ मस्तकि जिसउ बीजनउ चंद्रमानइ आकारि महा उज्ज्वल
निर्मला गोक्षीर हारसंभारपंडुरा ।
निर्मलशोभायमान ऊताण छत्रसंठाणसंठिया भणिया जिणवरेहिं ।। . अट्ठजोयण बाहल्ला, सा मज्झमि वियाहिया, परियायतंति चरमी, मच्छी पक्खोव्व तणुययरी, ईसीपभारानाम जोजनरइ चउवीसमइ अग्रभागि, अलोक नीचइ, चउदराजलोक ऊपरि जिके सिद्ध छड् ।
कहं पडिहया सिद्धा कहं सिद्धा पयट्ठिया । कहिं बोदि चइत्ताणं कहिं गंतूण सिज्झई ॥२॥ अलोए पडिहया सिद्धा लोगग्गंमि पइट्ठिया । इहं बोंदि चइत्ताणं तत्थ गंतूण सिज्झई ॥३॥ असरीरजीवघणा उवउत्ता दंसणेण नाणेण,। सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥४॥