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________________ मार्च - २०१६ तुम तो दीनदयालजी, चितानंद गुर देव, धनिदास जिग्या वसो, करै तुमारी सेव... ८१ ( जग्या पर वसेला चिदानंद दीनदयाळ गुरुदेवनी अहर्निश सेवा धनीदासजी करी रह्या छे.) छंद * भोमी ब्रह्मरूप गुरदेव हो, श्री महाराज धिराज, भगति बधावन बिपु धर्यो, बोहै जीवन के काज ... ८२ (ब्रह्मरूप ओवा श्री महाराजाधिराज गुरुओ आ जगतमां भक्तिने वधारवा माटे, अन्योना जीवनने माटे ज देह धारण कर्यो छे.) ( आ धरती पर पूजनीय सेवा दयावंत पिता, जेनी वाणी - शब्दो अत्यंत प्रख्यात छे अमणे पोताना उरमां ब्रह्मानंद धारण कर्यो छे. जो कोई मनुष्यना शरीरना एक एक रोम उपर बब्बे जीभ होय तो पण गोविंद समान मारा सद्गुरुना महात्म्यने वळु शके तेम नथी, जळनुं जीवन वहतुं रहेवामां होय, संतोनुं जीवन राममय होय, एम मारुं जीवन आप गुरु महाराज छो, मारा तमाम कार्यो आप सफळ करजो.) १०३ पुज्यनीक हो पहोमी * पर, दयावंत हो तात, (भोमी) पहोंचेला. ब्रह्मानंद उरमें लीया, बाणी सबद विख्यात... ८३ द्वै द्वै रसनां रोम ईक, जो पैजनकै होई, महैमां गुरु गोविंदकी, तोउ न बरनैं कोई ... ८४ सफरी जीवन नीर है, संतां जीवन राम, मों जीवन महाराज हो, सारो सबही कांम... ८५ - बचनका — परमधीर मत गंभीर, परम भगवन इंद्री दवन, परमग्यांन अगम ध्यान, परम भगत अगम सकत, परम दास अति विलास, तज्यां कांम भजै राम, तज्यां लोभ अगम सोभ, तज्यां आस निति प्रकास ग्रह्यां सार निर विकार, निति अखंड धरम मंड... ८६
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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