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अनुसन्धान-६९
शके. ऋषिओ, तपस्वीओ, मुनिजनो अने तमाम अवतारो तथा तमाम संतो, नारद, सनकादिक, ब्रह्मादिक तथा श्रीमुखथी लक्ष्मीपति जेमां क्यांये तफावत नथी ओवी एक ज वात कहे छे के गुरुमहिमानो पार शास्त्रो पुराणो पण पामी शकता नथी.)
क्षमावंत गुरुदेवजी भवजल करि हैं पार,..... दधीच मुंनी सें देखलो इंद्र देव उपगार, . इंद्र देव उपगार जीवकी संकट टारी, माहाकाल की खास तोडि जग जाल उबारी, वत्रा सुरसे देख ल्यो आप ही गयो ज हार,
क्षमावंत गुरुदेवजी भवजल करि हैं पार... ७७
(इन्द्रना जीवनुं संकट दधिचि मुनि उपकार करीने टाळ्युं, अने वृत्रासुरनो नाश थयो, महाकाळना पाशमांथी जगतने उगारी लीधुं, आम क्षमावंत अवा गुरु ज भवजळ पार उतारे छे.) दोहा -
च्यार बेद षट सासतर, ओर अढारै पुरांन, याको पाठ ज निति करै, पें गुर बिन भलो न जान... ७८
(चार वेद, छ शास्त्र, अढारे पुराणना नित्य पाठ करनार पण जो नूगरो होय- गुरु विनानो होय तो तेने भलो के सारो कहेवामां आवतो नथी.)
गुरु ग्यांन दातार हैं, गुरु राम अवतार,
महा मूढ जे जीवकू, भव जल करिहैं पार... ७९
(गुरु ज्ञानना दाता छे, गुरु ज भगवान रामना साक्षात् अवतार सम छे, जे महामूठ ओवा जीवने पण भवजळ पार उतारनारा छे.)
महा सील के पुंजको, भरया तोष भंडार,
नव जोगेसुर ज्यूं जथा, तुम रो वार न पार... ८० ।
(जेमनामां अमूल्य अवां रत्नो समा महा शीलना पुंज अटले के ढगलाना अटला भण्डारो भर्या छे के नव नव योगेश्वरो-योगीओ पण जेनो ताग लई शकता नथी.)