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________________ २८ अनुसन्धान-६९ (जगतना जीवोना उद्धारने कारणे आपे कळियुगमां अवतार धारण कर्यो छे, आपने जे कोई आवी मळे तेने आप अपार अर्बु रामनांम आपो छो, ज्ञान, भक्ति अने वैराग्यने दृढ करावी अना अज्ञान अंधारां मिटावी दो छो, आपने ज रामनुं साकार स्वरूप जाणीने हजारो वार वंदन करूं छु.) सोरठा - उरि फाटक खुलि जाई, बादी नादी ना टकी, । चित्त माही तुल जाई, चरचा सुण माहाराजको... ६२ (महाराजश्रीनी चर्चा सांभळतां ज हैयानां कमाड खूली जाय छे, वाद विवाद टकी शकता नथी, चित्तमां साच खोटनो जे तोल चाली रह्यो हतो ते शमी जाय छे.) सूरज ज्यु उदोत दिौ, क्रांति गुरुदेवकी, उरि सीतलता होत, दरस कीया पातग कटे... ६३ । (जेमनां दर्शन करतां ज कायानां तमाम पापो नाश पामे छे, उरमां शीतळता व्यापे छे ओवा गुरुदेवनी कांति ऊगता सूरज जेवी दीपी रही छे.) चोपाई - दत्तात्रय ग्यांनी अवधूता, राजा जई पारकीय पूता, कवलदत* मतवाला जोगी, मां ग्यांन दीयो रसभोगी... ६४ (ज्ञानी अवधूत अवा गुरु दत्तात्रेय.................... मतवाला जोगी छतां रसभोगी अवा आप मने ज्ञान आपो.) जटभराथ उनमत रहावै, राजा रघू पार कहावै, नारद नांम निरंतर गायो, षट तलीय छिनमै पहुचायो... ६५ (जडभरत पोतानी अवधूत दशामा उन्मत्त रहेता, छतां अमणे रघु राजाने ज्ञान आपेलुं, नारदजी निरंतर नाम गाया करता छतां षट्पद भ्रमरने अक क्षणमां पार पहोंचाडी दीधेल.) नव जोगेसुर रांम रस माता, जनक बिदेही कीयो विख्याता, सुखदेव जोगे सुर गांही, परीछत पार कीयो पल मांही... ६६ *केवलाद्वैत
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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