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________________ मार्च - २०१६ ९७ वातो जाणनारा छो.) म्हाराजि धिराज महाराज श्री, श्री आठ सत ओक, स्वामी दल सुधरांमजी, पावन कीये अनेक... ५६ (महाराजाधिराज महाराजश्रीश्री १०८ स्वामी दलसुद्धरामजीओ अनेक जीवोने पावन कर्या छे.) सरब सुखाकी धांम तु सम, यहां तव पदके दास, दिली लीलकटलासै लिखी, राम दुवारे खास... ५७ (सर्वे सुखोना धाम ओवा आपना पद-चरणकमळनो दास दिल्ही लीलकटलाथी राम दुवारे आ अरजी लखी रह्यो छे.) अरजी लिखुं हुलास सै, करि करि आरत बैन, भव जल निधि मै बूडतां, आप मिले सुख दैन. ५८ - (अधिक उल्लासथी-उमंगथी विनवणी करी करीने भवजळनिधिमां बूडी रहेला मने आपनो संयोग सुख आपनारो थई पडशे.) यांहां कुसल तुमरी दया, तुम निति आनंद कंद, महैमा किसि बिधि वरणीओ, पूरण परमानंद... ५९ (अहीं आपनी दयाथी कुशळ छीओ, आप तो नित्य आनंदकंद छो, पूर्ण परमानंद अवा आपनो महिमा केम करीने हुं वर्णवी शकुं ?) हंस दसा निरगुण दसा, सकल सिष्ट सिरताज, राव-रंक सरभर गिणै, असे गरीबनवाज... ६० (राव रंकने तमामने अकसरखा गणनारा ओवा गरीबनिवाज आपनी हंस दशा अने निर्गुण दशाने कारणे सकळ सृष्टिना सरताज छो.) सवईया - जगतके जीव उधारन कारन आप लीयो कलि मैं अवतारा, जो कोई जो आई मिलै ताहि देत है राम को नाम अपारा, ग्यांन भगति बैराग दिढावत मेटत हो सब घोर अंधारा, रांमको रूप सही हम जानत वंदन बारूं ही बार हजारा... ६१
SR No.520570
Book TitleAnusandhan 2016 05 SrNo 69
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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