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मार्च - २०१६
भरम करम मिटि जाई हिरदा मै होत उजासा, ज्युं रिव कै उदोत होत हे तिमको नासा, कर जोड तिनहै बंदन करुं चरण कवल सिर नाई,
सतगुरु मेरे रामजी सदा रहो उरि मांहि... ४३ (मारा सतगुरु रामजनजी सदा ये मारा अंतरमां वास करजो, जेथी आपना प्रसादथी आ जीवना भरम करम मटी जाय. जेम सूर्यना आगमनथी तिमिरनो नाश थाय छे अम मारा हृदयमां उजास पथराय, कर जोडीने, आपना चरणोमां शिश नमावीने हुं अरज करुं छु के मारा सतगुरु मारा अंतरमां सदैव वास करजो.)
सिध श्री सिध कारणै सत पुरसांके जोग, जिन त्याग्यो संसार सुख वांम दाम रस भोग, वाम दांम रस भोग रोग सब दूरि निवारै, समा सील संतोष धारि समद्रिष्ट निहारे, असे पुरस भूलोंक मै जगत मिटावण सोग,
सिधश्री सिध कारणै सत पुरसों के जोग... ४४
(सिद्ध पुरुषो सिद्धि, अने सत्पुरुषो योग शा माटे प्राप्त करे छे ? जेमणे संसारनां स्त्री, धन, सुखो अने रसभोगनो त्याग कर्यो छे अने तमाम भवरोगनुं निवारण कयुं छे, जे क्षमा, शील, संतोष धारण करीने समद्रष्टिथी सौने निहाळे छे अवा महापुरुषो जगतना तमाम शोक मिटाववा आ धरती पर आवे छे.) दोहा -
साहिपुरो सुंदर माहा, मेवाड देस विख्यात, जेहां बिराजत श्री महंत गुरु, संत अनंतन साथ... ४५
(ज्या अनेक संतोनी साथमां श्री महंत सतगुरु कायम बिराजमान रहे छे अनी साक्षी सुन्दर सोहामणो अवो विख्यात मेवाड देश (अने गुरुस्थान शाहपुरानो रामदुवारो) पूरे छे.)