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जून २०१५
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'जैन साहित्य समारोह' मां रजू थयेला एक शोधपत्र विषे संशोधन
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विजयशीलचन्द्रसूरि
'गौतमस्वामीनो रास' अ सं. १४१२मां रचायेल, उपाध्याय विनयप्रभनी एक प्रख्यात अने लोकप्रिय रचना छे. तेना कर्ता विशे, प्रक्षिप्त कडीओमां आवतां 'विजयभद्र, भद्रबाहु गुरु' वगेरे विभिन्न नामोने कारणे, घणो व्यामोह प्रवर्ततो हतो. परंतु मो. द. देशाई, अगरचंद नाहटा, हरिवल्लभ भायाणी वगेरे विद्वानोओ ते व्यामोहनुं निराकरण करीने, आ रासना कर्ता 'विनयप्रभ उपाध्याय' ज होवानो निश्चय क्यारनोये करी आप्यो छे. नाहटा भायाणीओ तो आ रासना पाठनो वाचनानो पण निर्णय कर्यो छे अने विविध प्रक्षेपोने गाळी नाखीने मूळ कृतिनी वाचना प्रगट करी छे. ओटले आ कृति विषे द्विधा के शङ्का करवाने हवे क्शो ज अवकाश रह्यो नथी.
परंतु हमणां 'स्वाध्याय' त्रैमासिकना पु. ४९, अङ्क १-४ मां प्रगट थयेल "गौतमस्वामीनो रास एक अध्ययन" शीर्षकनो, मीना पाठकनो शोध-लेख जोवामां आव्यो. तेमां तेमणे जे विगतो अने विश्लेषण के संशोधन नोध्यां छे तेमज जे अशुद्ध वाचना प्रकाशित करी छे ते जोतां, आजना संशोधकोनी अज्ञता तथा सज्जताविहोणां संशोधनो परत्वे खेद थाय तेवी ओक वधु साबिती मळी छे.
सम्पादकने कृतिनी रचनाना वर्ष अने हस्तप्रतना लेखनना वर्ष ए बे वच्चेना तफावत विषे झाझी समज होय एम नथी जणातुं पोताना लेखमां वारंवार तेमणे आ बे बच्चे सेळभेळ करीने तारणो आप्यां छे. तेमांनुं अक तारण जोईओ :
"बीजुं केवलरचित गौतमपृच्छा चोपाईनी हस्तप्रत पण प्राच्यविद्यामन्दिरमां मळे छे. तेनो लेखनसंवत १८५२ (१७९६) छे. तेथी पण अनुमान करी शकाय के गौतमस्वामीना रासनी रचना कर्या बाद केवले गौतमपृच्छा चोपाईनी रचना करी हशे. '
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गौतमरासनं रचनावर्ष १४१२ छे, गौतमपृच्छा चोपाईनुं लेखनवर्ष
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अनुसन्धान-६७ १८५२ छे (रचनावर्ष नहि) सम्पादक अहीं रचनाना ने लेखनना वर्षने ओक ज समजीने चालतां लागे छे; ने १४१२ / १८५२ आ बेनो गाळो विचार्या वगर ओ बन्ने वर्षोमां 'केवल'नुं अस्तित्व होवानुं स्वीकारीने चालतां जणाय छे. बीजी वात विनयप्रभ अ रास-कर्ता तरीके सिद्ध छे. छतां सम्पादक रासना कर्ता तरीके 'केवल' नामनी व्यक्तिने स्वीकारे छे. तेमनुं तारण जोईओ : "बीजुं, केवले पुष्पिकामां पोताना नामनो उल्लेख कर्यो नथी, तेम छतां रासोमा "गोयम गणहर केवल दिवसे" (कडी ४५) लखाण मळे छे जे रासोना कर्ता 'केवल' हशे एवं दर्शावे छे."
केवी विडम्बना छे आ! "गोयम-गौतम गणधरने केवल - केवलज्ञान प्राप्त थयुं ते दिवसे कार्तक शुदि ओकमे" आ रास रच्यानी वात कर्ता नोंधे छे; ने आ सम्पादकश्री तेमांथी 'केवल' नामना रास-कर्तानी शोध करी आपे छे !
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आगळ वधतां सम्पादके विधान कयुं छे के "विनयप्रभ अने बीजा केटलाकनी हस्तप्रतमां 'गोयम गणहर केवल दिवसे' ने बदले 'खंभ नयरि सिरि पासपसाई' पद जोवा मळे छे. तेथी पण अनुमान करी शकाय के विनयप्रभओ केवलना नामने बदले आ पदना (नी) रचना करी हशे."
आनो शो अर्थ थाय ए समजमां आवे तेम नथी. रासना कर्ता विनयप्रभ; 'खंभ नयरि' वाळी कडीओ ते पाछळथी थयेल उमेरण; उमेरण करनारे 'गोयम गणहर०' वाळी मूळ कडीने काढी नाखी तो नथी ज; ते तो तेना स्थाने यथावत् छे; छतां रासने 'केवल'नी कृति माननारां सम्पादक विनयप्रभे आ पंक्ति बदली होवानो निष्कर्ष आपे छे! केवुं मजानुं संशोधन ! ई. २०१२ ना वर्षे पावापुरीमां महावीर जैन विद्यालय द्वारा आयोजित 'जैन साहित्य समारोह' मां आ शोधपत्र रजू थयेलुं छे, अने प्राच्यविद्या मन्दिर -वडोदरा द्वारा प्रकाशित 'स्वाध्याय' त्रैमासिकमां ते मुद्रित थयुं छे, त्यारे तेमां थयेला आवां विविध छबरडां जोईने, साव स्वाभाविक रीते ज, घेरो आघात थाय छे. आपणा संशोधन क्षेत्रनी तथा कार्यनी गुणवत्ता केटली ह्रास पामी चुकी छे, ते आमां फलित थाय छे. गौतम -रासना कर्ता विषे तथा तेनी आमां छपायेली गलत वाचना विषे आवता समयमां केटला लोकोने केटली गेरसमज थशे ते कल्पनानो विषय छे. अस्तु.