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________________ १५४ अनुसन्धान-६७ विहंगावलोकन - उपा. भुवनचन्द्र जून - २०१५ १५३ पैदा कर दी है और पश्चाद्वर्ती सम्पादकों ने उसका अन्धानुकरण किया है ऐसा मानना निरी गलतफहमी ही होगी । आगमों की वाचना का आमूल परिवर्तन यानी नये आगमों की रचना का कृत्य तो स्थानकवासी परम्परा के श्रीघासीलालजी ने किया था, जो आगमों के इतिहास में एक खेदजनक घटना प्रतीत होती है । खेद है कि उसके बारे में श्रीरामलालजी ने कुछ भी जिकर नहि की है। कहना इतना ही है कि हम संशोधन का कितना भी महत्त्वपूर्ण कार्य कर दें (और वह करना नितान्त आवश्यक भी है), लेकिन हम हमारे उन पूर्वजों के प्रति अनृणी नहि हो सकतें कि जिनके हाथों इसकी नींव डाली गई थी। - शीलचन्द्रविजय * * * अनुसन्धान-६५ विज्ञप्तिपत्र-विशेषाङ्कना चोथा खण्डमां गूर्जर-हिन्दी-राजस्थानी भाषानां वि.पत्रो संगृहीत थयां छे. संस्कृत पद्यो तो वि. पत्रोमा छे ज, आ पत्रोमां पंजाबी, मराठी, चारणी भाषा पण अहीं-तहीं देखा दे छे. वि.पत्रोनी साथे तेनो सारांश अपायो छे, वधुमां अनु.ना सम्पादकश्रीए प्रत्येक पत्र उपर पोतानुं अवलोकन पण अलगथी नोंध्युं छे - जेमां पत्रोनी विगतोने ऐतिहासिक-सामाजिक दृष्टिए तपासी छे. संस्कृत वि.पत्रोमां काव्यात्मक वर्णन विशेष होय छे, ज्यारे गूर्जर व. भाषानां वि.पत्रोमां स्थूळ वर्णन/विगतो वधु सांपडे छे. ए दृष्टिए आ वि.पत्रो रसाळ लागे छे. नगरोनां नाम, राजा, समाजो, नगरव्यवस्था, इतिहास, कळा-कसब, भाषा, आचार्यो, जैन परम्परा वगेरे विषयोनी अभ्यासयोग्य सामग्री आ वि.पत्रोमां भरी पड़ी छे. एक वात नोंधवी रही: उत्तरोत्तर संस्कृत भाषानुं स्तर नीचुं आवेलुं देखाय छे, अमुक पत्रोमां तो अगडंबगडं संस्कृत चलाववामां आव्यु छे. बीजी केटलीक वातो पण नोंधीए : - नगरवर्णनमा 'अढार वरण'नी वात लगभग छे, जे आजे पण सांभळवा मळे, वि.पत्रोमां आनी साथे '३६ पवन-पौन'नो उल्लेख आवे छे. (वि.पत्र १५, ८ इत्यादि). छत्रीस 'पवन' समजाता नथी. -सुरतथी मुंबई लखायेल वि.पत्र (क्र. १७) सं. १८८९ मां लखायो छे, जे अर्वाचीन गणाय. तेमां पण स्वप्नदर्शन के तेनी उछामणीनो उल्लेख नथी. - एक महत्त्वनो अपवाद मळ्यो छे: सं १७७९ना सुरतथी लखायेल पत्रमा आटला शब्दो छ - "तथा श्रीमहावीरनुं पालपट्टणी सा. सभाचंद कचरा साडंबरपणे लीधुं छे." स्वप्नदर्शननो उल्लेख नथी, उछामणीनो सीधी उल्लेख नथी.
SR No.520568
Book TitleAnusandhan 2015 08 SrNo 67
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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