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________________ फेब्रुआरी - 2015 परघरि गोचरी करीनि पीवा, उष्ण जल विधिसार; तुम सकोमल केम भावि, मानो जी बोल बिच्यार..... 12 सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार...... दूहो : जिन वचन सीतल तरु, जिनगुण जल सुखदाय; सोय जल पीतां झीलतां, जेठ तपई नहीं माय..... 13 आसाढ मासि मेघ केरी, घटा घन वरसंत; वीजली झमकि विरह चमकि, मोर मुख विकसंत.... 14 पीउ पीउ शब्द सुणत पंथी, आवि घरि उलसंत; तेणि दिन निज घर छोडी नंदन, किउं परदेश वसंत.... 15 सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार..... दूहो : परदेशी संसार हि, जिनधर्म हुई थिरवास; वल्लभ मन्दिर सोओछि, तेणि भलो आसाढो मास..... 16 श्रावण आयो रूप लायो. झरमर वरसि मेहः पय पावडी सरि लाल लोबडि, भीजि नवली देह; पीउ पीउ शब्द ज़गावी चातुक, वल्लभ उपरि नेह..... 17 धरा पल्लव जलद गजि, मयण बिंदु वरसंत मनरंग वधि वीर तेणि दिन, राखq थिर करी चित्त..... 18 . सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार....... दूहो : थिर चित्त हि सीतमइ, वल्लभ जिनसुं रंग; श्रावण. मासि साधुनई, माइ दिन दिन उछरंग..... 19 पंचरूपी भाद्रवइ, वरभर्यां सर जलधार; द्रुमलता ललितांकुरंकीत, भूमि रंग अपार..... 20 / रंग मुझ तुझ वदन नीरखि, तुं मनमोहन वेलि; प्राणजीवन परमवल्लभ, भाद्रवि भर खेलि..... 21 . सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार....
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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