________________ ... अनुसन्धान-६६ // राग-सारंग // हीडोलनानी देसी श्रीजिनवर पयकमल प्रणमी, पामी सहिगुरु पसाय; गांउं मेघकुमार केरा, बारमास उछाय..... 1 रायगिह नयरि राय श्रेणिक, धारणी तस घरि नारि; . तास नंदन मुकुल चंदन, नामि मेघकुमार..... 2. . श्री वीरजिनना चरण वंद्या, पाम्या मनि वैराग; . मातनि जई वीनवइ, तव मात कहि धरी राग..... 3 . सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार... ओ आंचली. दूहो : राग धरी माता कहि, सांभलि मेघकुमार; बारमास खेली करी, पछि लेज्यो संयमभार..... 4 चित्त प्रमोदइ चैत्र मासि, खेलो बाग मझारि; मचकुंद पाडल मालती, तिहां मधुकरि रे गुंजार..... 5 सार नीर सुगंधि सीतल, स्वाद त्रिविध समीर; तेणि दिन साधुनि मलीन गात्रइ, अहोनिस रहिवू वीर.... 6 सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार..... दूहो : संयम सुन्दर प्रेम रस, नवविधि सीयल वां(बा)ग; कृपा कमल वर चेत्रमइ, माइ खेलूं जलं वैराग..... 7 . वैशाख फूल्यो फूटरो, द्रूम धस्यो भर सणगार; कोयल मधुरा स्वर करि, रस सरस लहि सहिकार..... 8 केशर कस्तूरी कपूर चंदन, घोल लईन शरीर; अम्बर सघन खण्ड सरसा, तेणि दिन जमो माहरा वीर..... 9 सुसनेहा नंदन मानो रे मेघकुमार..... दूहो : धर्म तरुवर सत्यफल, कोयल दया सुभाखि; चन्दन घोल वैराग रस, तेणि टाढो मास वैशाख..... 10 जेठ मासि दिन तपि, तेणि तपइ कोमल काय; नीरमल वासित नीर जोइइ, जोइइ सीतल छाय..... 11 .