________________ अनुसन्धान-६६ . .. // राग-मेवाडउ धन्यासी // दूहा : जंगमतीरथ जेसंगजी, थावरतीरथ सजि, जय जंपइ नित वंदीइ, वारण भवह निकुंज. 1 वन वाडी तरुअर घणा, पणि कोइलि मनि अंब, . तिम जेसंग मझ मनि वस्युं, जिम चकवी रवीबिंब. 2 महीअलि सूरि अछइ घणा, पणि तई वाली लीह, .. जय जंपइ जेसंगजी, कुमतिमतंगजसीह. 3 ढाल // . . श्रीहीरविजयसूरिंद, तस पार्टि गयणदिणंद, पापतिमिरहरुजी, जेसंगजी गणधरूजी. 1 धिन्न दिवस वेला धिन्न, वांदीइ गुरु सुप्रसन्न, सकल सूरीसरुजी, महा मुनीसरुजी. 2 सहिगुरु न वीसरीआंह, विलगुअछु तुम बाह, भवभय वारीइजी, पार ऊतारीइजी. 3 जाणजो अविचल नेह, छांडई न छूटइ तेह, करुणा कीजीइजी, शिवसुख दीजीइजी.. 4 / / तुं जगि सवाई हीर, जेसंगजी गुणधीर, . लेख विचारीइजी, सेवक संभारीइजी. 5 कागल जु महीअल थाइ, लेखणि जु हुइ वणराइ, जलधि मसिभायणूंजी, तु तुम गुण गणूंजी. 6 कहयुं अधिक ओछू जेह, प्रेमतणि वसि वली तेह, खमजो बोलडाजी, नेह हुइ गहिलडाँजी. 7 वाचकविभूषण जाण, रूअडूं ते नाम कल्याण, सुभगसिरोमणीजी, अचिंत चिंतामणीजी. 8 जयविजय पभणइं दास, पूरीइ भवीअण आस, वयण अवधारीइजी, वेगि पधारीइजी. 9 आवता को कहि आज, जेसंगजी गुरुराज, समतारस भयुंजी, सुविहित परिवर्युजी. 10