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________________ फेब्रुआरी - 2015 धनद समा धनवंत वसइजी, सुसनेही बहु लोक, घरि घरि नारी पदमिनीजी, मुदित सदा गतशोक. 4 श्रीजिनवचनई रातडाजी, श्रावक समकितधार, दान मान गुणे आगलाजी, सुभिख्य जिहां सुविहार. 5 रयणायर रयणि भर्युजी, गाजइ गुहिर गंभीर, विविध क्रियाणां३२ ऊत[र]इजी, प्रवहण वहिइ जस तीर. 6 वाडी वन रुलीआमणांजी, पगि पगि निरमल नीर, द्राखई मंडप छाहीयोजी, मधुर लवइ पिक कीर३४. 7 कदली नागरवेलीनाजी, मंडप सोहइ जांहिं, चंदन चंपक केतकीजी, मारगि सीतल छांहिं. 8 दूधई पाय पखालसिउंजी, अरचूं सोव्रण फूलि, चंदन छंटा देवारसिउंजी, पथरावू पटकूल. 9 कमला समरइ कान्हनइंजी, सीता समरइ राम, दमयंती नलरायनइंजी, तिम भविअण तुह्म नाम. 10 नादई सुर नर मोहीयाजी, मानसरोवरि हंस, जेसंगजी जग मोहीओजी, जिम गोपी हरीवंसि. 11 मेह हुइ सघलइ वरीसणाजी, न जूइ ठाम-कुठाम, सेलडी सींचइ सर भरइजी, सींचइ अरथ आराम. 12 - ‘आक धंतूरा किम गमइजी, जे आंबारसलीण, कुण कर घालइ कइरडइ६, चंदन दीठां जेणि. 13 . जे अलजु मिलवा तणुजी, ते किम टलइ संदेसि, ... जल पीजइ सुपनंतरइंजी, त्रस छीपइ किसरेसि. 14 मात-पिता-बंधव थिकीजी, वल्लभ प्राणआधार, तुम सरीखा वाल्हेसरजी, अवर न को संसारि. 15 तुहम गुणसंख न पामीइजी, मुझ मुखि रसना एक, कागल मिसि नहीं तेटलांजी, किम लिखीइ तुम लेख. 16 भविक जूइ तुम वाटडीजी, कीजइ पर ऊपगार, जय जंपइ सुमया करीजी, पउधारु गणधार. 17 // इति लेखे चुथी ढाल // छ /
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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