SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ फेब्रुआरी - 2015 71 (1) एँ नमः // राग-देसाख // दूहा : स्वस्तिश्री जिनवर तणा, पदपंकज प्रणमेवि, लेख लिखुं सुहगुरु भणी, मनि धरी सरसति देवि. 1 गुज्जर धर सोहाकरू, नयर निरुपम नाम, लाडुल अतिहिं प्रसिद्ध छइ, सकल-लच्छि-सुखधाम. 2 घणुं कर्हिसिउं अलकापुरी, समवडि सोभा जाणि, धरमवंत श्रावक वसइ, वहि सिर जिणवर आणि. 3 श्रीविजयसेनसूरीसरू, संघ मनि पूरइ आस, सयल देस पावन करी, रहइ तिहां गुरु चउमासि. 4 सासनपति संघ हित भणी, करइ अनोपम काज, परम-पटोधर थापिंवा, ध्यान धरइ मुनिराज. 5 // देसाखनी चाल // सकल सजाई पूरण करी, मनिं धरी आणंद, सूरिमंत्र आराधवा, ध्यान बइसइ मुणिंद. 1 भावि पटोधर चीतवी, दृढ आसन कीध, जाप जपइ निश्चल थई, होइ एकमनां सीध भावि पटोधर चीतवी [आंचली] कृष्णागर-धूष महमहइ, मृगमद घनसार, श्रीगुरुभगति करइ भली, श्रावक सुविचार, ____ भावि पटोधर..... 2 मारि निवारी देसमां, दाखी साहि फरमान', व्यसनादिक सवे टालीआं, देई बहुमान. 3 सामीवच्छल हुइ नित नवां, दीइ दान प्रवाह, घरि घरि उछव अति घणां, करइ मनि उच्छाह. 4 छट्ठ-अठम-नीवी तप करइ, आंबिल उपवास, इणी परि मंत्र उपासतां, हुआ त्रण मास. 5
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy