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अनुसन्धान-६६
शिवमण्डनगणिविरचितम् वागडपढ़पुरमण्डन-आदिनाथस्तवनम्
- सं. अमृत पटेल
. [नोंध : श्रीसोमसुन्दरसूरिजीना प्रशिष्य रत्नशेखरसूरिना शिष्य शिवमण्डनगणि द्वारा आ २४ पद्यनुं वागडपद्रपुरमा बिराजमान श्रीआदिनाथ प्रभुनुं स्तवन रचायुं छे. कर्ताओ अन्ते करेला उल्लेखना आधारे तेमने पोताना गुरुभगवन्त तथा लक्ष्मीसागरसूरिसोमदेवसरिजी पर ऊंडो आदरभाव हशे ते देखाई आवे छे. ते सिवाय कर्ता अंगे कोई विशेष हकीकत उपलब्ध थती नथी. 'वागडपद्रपुर' ओ पाटण पासे आवेखें 'वागडोद' होई शके ? त्यां गोपाल सङ्गपतिओ पोताना छ भाईओ साथे आदीश्वरनी प्रतिमा पधरावी हती तेवी श्लोक १३मां नोंध छे..
___ कृतिनां प्रथम २३ पद्यो भुजङ्गप्रयातवृत्तमां अने अन्तिम श्लोक शार्दूलविक्रीडित छन्दमां छे. कृतिना प्रत्येक पद्यमां कर्तानी विद्वत्ता, कवित्वशक्ति अने भगवद्भक्ति झळके छे. प्रासानुप्रासने लीधे काव्य रमणीय बन्युं छे.
___ लालभाई दलपतभाई ज्ञानमन्दिरना हस्तप्रतसङ्ग्रहगत ला.द.भे.सू. ३२८४ क्रमाङ्कनी सं. १५२०मां प्रायः कर्ताना शिष्यना हाथे लखायेली २ पानानी प्रतना आधारे कृतिनुं सम्पादन थयु छे.
प्रस्तुत कृतिनी पं. श्रीअमृत पटेले स्वहस्ते लखेली प्रतिलिपिना आधारे यथामति संशोधनपूर्वक अत्रे आ कृति प्रकाशित थई छे. मूळ प्रत मळे तो हजु वधारे शुद्धीकरणने अवकाश छे. -.]
जयश्रीनिवासैकगेहं स्तुवेऽहं,
जगत्पूरितेहं सुवर्णाभदेहम् । युगादीशदेवं श्रियां वासुदेवं
___ सुपर्वात्तसेवं स्मरे वामदेवम् ॥१॥ गुणाम्भोनिधे! वक्तुमीशो गुणानां,
सुधीः कः कलौ सम्भवेत् तावकानाम् ।