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________________ __ अनुसन्धान-६६ द्रव्यपर्याययुक्तिः / स्यावादचर्चा - सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय ___ द्रव्य-पर्यायोने सम्बन्धित अनेक चर्चाने प्रस्तुत करती आ रचना सम्भवतः महोपाध्याय श्रीयशोविजयजी गणिकृत छे. कृतिनो ऎकारथी थतो प्रारम्भ, विषयवस्तुनी पसंदगी, तर्कोनुं स्तर - आ बधुं 'आ रचना उपाध्यायजीनी छे' ओ वातनी पुष्टि करे छे. तो ग्रन्थगत अशुद्धिओ, नबळी रजूआत, शैलीनी शिथिलता - आ बधा उपरोक्त वातनी विरुद्धमा जता मुद्दाओ छे. ग्रन्थने समग्रपणे अवलोकतां उपाध्यायजीनी छाप उपसती जणाती नथी, पण वास्तविक निर्णय तो तज्ज्ञो ज करी शके. ___आ कृतिनी मूळ हस्तप्रत कर्तानो निर्णय करवामां सहायक बनी शके, पण अमने तो तेनी प्रतिलिपि ज मळी छे. प्रतिलिपि जूना फूलस्केप कागळ पर करवामां आवी छे. तेना पर आ मुजबर्नु लखाण छे : "श्रीपानसरथी मुनि श्रीभद्रंकरविजयजीने श्रावक भोगीलाल हालाभाई मारफते मोकलावेल प्रेस कोपी, पोष वदि ८ सोमवारें". आमां आ प्रतिलिपिने 'प्रेसकोपी' तरीके ओळखावी छे, परन्तु वास्तवमां ते अत्यन्त अशुद्ध प्रतिलिपिमात्र छे. अत्रे तेने यथामति शुद्ध करीने सम्पादित-प्रकाशित करवानो प्रयत्न कर्यो छे. शुद्धीकरण लगभग मूळ वाचनामां ज करी लीधुं छे. बहु थोडाक स्थाने कौंसचिह्नो प्रयोज्यां छे. ग्रन्थकर्ता विद्वान् मुनिराज आगमो तथा जैन शास्त्रोना प्रकाण्ड अभ्यासी हशे ते ग्रन्थमा उद्धत अनेकानेक शास्त्रपाठो. परथी सुस्पष्ट छे. उद्धरणोनी सङ्ख्या अने कद बन्ने अटलुं वधारे छे के मूळग्रन्थ अनी आगळ जाणे नानो लागे. कदाच कर्ताने आगमिक-शास्त्रीय पाठोना तात्पर्यनुं स्पष्टीकरण ज इष्ट छे. उद्धरणोनां स्थान घणी जग्याओ प्रतिलिपिमां सूचवायां छे. ते ग्रन्थकर्ताओ पोते सूचव्यां छे के अन्य कोई विद्वज्जने ते नक्की करवू अघरुं छे. खास तो आवां स्थानोओ पत्रक्रमाङ्क अपाया छे, ते कई प्रतना ते शोधवानुं बाकी रहे छे.. उद्धरणोमां पाठ यथावत् उद्धृत नथी थया, पण तेमांनो भाव साचवीने जरूर मुजबना शब्दो लेवामां आव्या छे. अत्रे मूळ सन्दर्भो तपासीने तेमने यथाशक्य शुद्ध करवानो प्रयत्न कर्यो छे, तेमज उपलब्ध थयां अटलां मूळ स्थान पण नोंध्यां छे. मूळ प्रतमां केटलाक स्थाने टिप्पणी हशे तथा प्रतना अन्ते टिप्पण्यात्मक उद्धरणो हशे, ते प्रतिलिपि मुजब अत्रे पण अपायां छे.
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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