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________________ - अनुसन्धान-६६ वस्तु का कथन किस प्रकार से किया गया है यह बताते है। निश्चयनय और व्यवहारनय ज्ञान की प्राप्ति के तीन साधन हैं – (१) अपरोक्षानुभूति, (२) इन्द्रियजन्यानुभूति और (३) बुद्धि । इनमें अपरोक्षानुभूति या. आत्मानुभूति निश्चयनय की और इन्द्रियानुभूति या बुद्धि व्यवहारनय की प्रतीक है । तत्त्वमीमांसा में सत् के स्वरूप की व्याख्या प्रमुख रूप से निश्चय और व्यवहार ये दो दृष्टिकोणो के आधार पर होती है । जैन दर्शन के अनुसार सत् अपने आप में एक पूर्णता है, अनन्तता है । इन्द्रियानुभूति, बुद्धि, भाषा और वाणी, अपनी-अपनी सीमा के कारण अनन्त गुणधर्मात्मक सत् के एकांश का ही ग्रहण कर पाते हैं, यही एकांश का बोध नय कहलाता है। दूसरे शब्दों में सत् के अनन्त पक्षों को जिन-जिन दृष्टिकोणों से देखा जाता है, वे सभी नय कहलाते है। नयो का स्वरूप जैन दार्शनिकों का कहना है कि सत् की अभिव्यक्ति के लिए भाषा के जितने प्रारूप (कथन के ढंग) हो सकते हैं, उतने ही नय, वाद, अथवा दृष्टिकोण हो सकते हैं । वैसे तो जैन दर्शन में नयों की संख्या अनन्त मानी गई है, लेकिन मोटे तोर पर नयों के दो भेद किये जाते है - जिन्हें १. निश्चयनय और २. व्यवहारनय कहते हैं । निश्चयनय और व्यवहारनय में सभी नयों का अन्तर भाव हो जाता है। भगवतीसत्र में इन दोनों नयों का प्रतिपादन बडे ही रोचक रूप में किया गया है – गौतमस्वामी भगवान महावीर से पूछते हैं कि भगवन् प्रवाही गुड़ में कितने रस, वर्ण, गन्ध और स्पर्श होते है ? महावीर कहते हैं, कि गौतम मैं इस प्रश्न का उत्तर दो नयों से देता हूँ। व्यवहारनय से तो वह मधुर कहा जाता है, लेकिन निश्चयनय से उसमें पाँच वर्ण, पाच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श होते हैं । वस्तुतः निश्चय और व्यवहार दृष्टियों का विश्लेषण यह बताता है कि वस्तुतत्त्व न केवल उतना ही है, जितना इन्द्रियों के माध्यम से वह हमें प्रतीत होता है अथवा बुद्धि उसके स्वरूप का निश्चय कर पाती है । सत्स्वरूप को समझने के लिए इन्द्रियानुभूतिजन्य ज्ञान और बुद्धिजन्य ज्ञान उसके व्यावहारिक पक्ष को ही
SR No.520567
Book TitleAnusandhan 2015 03 SrNo 66
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages182
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size12 MB
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