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________________ नवेम्बर २०१४ संघ सकल कर जोडने, एम करै अरदास, पउधारो श्रीपूज्यश्री, जोध नयर चौमास. ८ गुरुजी अत्र पधारतां, होस्यै लाभ अछेह, सकल संघनी वीनती, अवधारीजे एह. ९ ॥ अथाग्रे समस्त संघनी वीनती री सझाय कहे छइ ॥ देशी रसीयारी ॥ श्री श्रुतदेवी प्रणमी भावसूं, गाय... संघ सकलनी रंग भर वीनती, नगर योधांणे हो श्रीजी.... मांन वधारी हो वाट जो पटोधर पटोधर. १ पटोधर १०५ पटोधर. २ [ अहीं थी पत्रनो भाग खण्डित छे] १०६ अनुसन्धान- ६५ (१५) माङ्गरोलमा बिराजमान विजयजिनेन्द्रसूरिने सोझतवा सतनो विज्ञप्तिपत्र मङ्गलाचरणमां पांच जिनेश्वरोनी तथा माणिभद्रवीरनी संस्कृतमां स्तवना करी कविए गुर्जरभाषामा पत्र रचनानो प्रारम्भ कर्यो छे। कविए सौ प्रथम सोरठ देशनुं वर्णन कयुं छे । 'गझल' चालमां सोरठदेशना प्रसिद्ध शत्रुञ्जय अने गिरनार ए बे तीर्थोनुं स्मरण करी माङ्गरोलनी राज्यव्यवस्था, लोकव्यवस्था, जिनालयो तेमज श्रावक-श्राविका गणनुं सुन्दर चित्रण कयुं छे। त्यार पछीना दूहा, सवैया, पद्धडी छन्द तेमज देशीना रागमां ३६ सूरिगुणनुं वर्णन करी फरी तेज भावानुलेखन गद्यबद्ध रचनामां कर्तुं छे। पद्धडी छन्दमां रचायेलुं ते पछीनुं मरुधरदेशनं वर्णन ऐतिहासिक दृष्टिए महत्त्वनुं गणाय । मानसिंह भूपालनं, अन्य पदाधिकारीओनं, कोट- बाग जैन-जैनेतर मन्दिरोनुं, उपाश्रय विगेरेनुं वर्णन कविनी वर्णनशक्तिनो परिचय करावे छे। त्यार पछीनां संस्कृत पद्यो तेमज दूहाबद्ध वर्णनमां कविनी गुरुमिलननी उत्कण्ठानुं स्वरूप जणाय छे। फरी छप्पयबद्ध कवित्तमां सूरिजीना गुणोनुं वर्णन करी कविए २ देशी द्वारा सूरिजीने सोझित पधारवा विनन्ति करी छे। सूरिजीना सहवर्ति मुनिवृन्दने वन्दना जणावी गद्यपत्रालेखननी शरुआतमां सूरिजीना गुणवैभवनी विगत आलेखी चातुमासार्थे पधारेल रूपविजयजीनी तथा आराधनानी विगतो रजू करी छे। पत्रान्ते फरी विनन्ति रूपे रचायेल स्वाध्यायमां सोझितनी ट्रंकमां वर्णनाने गुंथी अन्य मुनिवृन्दनी वन्दना जणावी खामणालेखन द्वारा पत्र पूर्ण कर्यो छे । पत्रनी रचना कोणे करी छे ते अहिं विचारवा योग्य छे। 'गझल' कार कवि राजेन्द्र मनोहरविजयना शिष्य छे. वीनती स्वाध्याय ढाळ २नी रचना जे रूपविजयजीए करी छे तेओ मनरूपविजयजीना शिष्य छे। बन्ने महात्माए भेगा थई पत्र लख्यो होय तेम पण बने। छतां ते अंगे शोध करतां विशेष बाबत जाणवा मळे ।
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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