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________________ नवेम्बर - २०१४ ३१९ अनुसन्धान-६५ (३५) कंकोतरीस्वरूप विज्ञप्तिपत्र - २ (३४) कंकोतरीस्वरूप विज्ञप्तिपत्र - १ श्री । प्रस्तुत पत्र पत्र रूपे नहीं परंतु आमन्त्रण रूपे लखायेल कंकुपत्री छे। तारंगागढथी श्रावकोए पालीताणा पृ० मुनिराज कीत्तिविजयजीने उद्देशीने पाठवी छ। पत्रीनी शरुआतनो थोडो अंश अन्य विज्ञप्तिपत्रोनी जेम विशेषणो द्वारा मुनिगुण-निरूपणमा रोकायो छे। त्यार पछीना लेखमां तारंगाना श्रावकोनी साथे अन्य जे जे महाजनोए पूज्यश्रीने प्रतिष्ठा प्रसङ्गे पधारवा विनती करी छे तेमनां नामो अने प्रतिष्ठा दिन, वारनी विगत लखायेल छे, ऐतिहासिक दृष्टिए तारंगा अंगेनी आ नोंध घणी महत्त्वनी छ । जो के नन्दीश्वरजी द्वीपना चोमुख पर क्या अने कोनी प्रतिष्ठा कराई ? तेनी अहीं कशी माहिती नथी। छता संवत् १८८० ना मागसर महिने पत्री लखाई छे ते परथी ते ज वर्षना महा महिने प्रतिष्ठा करवानी हशे एटलं तो चोक्कस कही शकाय. आ पत्रने पण आपणे कंकुपत्री ज कहीशुं । अमदावादथी शेठ वखतचंद खुशालचंदे सा० श्रीमाणेकश्रीजी गणिनीने उद्देशीने पाटणनगरे आ पत्री मोकली छे । पत्रीनी शरुआतना लेखमां संघ यात्रा-प्रयाण अंगेना मुहूर्त अंगेनी जाण करी शेठ साध्वीजी भगवन्तने सङ्घमां पधारवा जणावे छे । त्यार पछी 'संघD कारणारु हु बनसे' आ पक्ति द्वारा पोताना काढेला सङ्घमां साध्वीजी भगवन्त पधारे ज एम जणाववा द्वारा साध्वीजी माटेनो पोतानो आदर भाव व्यक्त कर्यो छे । बीजुं ते वखते तीर्थयात्रा माटे लेवाता मुंडका वेराथी थता जात्राना अन्तरायने दूर करवा पोते १ वर्षनी दुस्तुरी भरी लोको परनो वेरो माफ वराव्यो छे, आ वात जणाववा द्वारा शेठ मुंडका सम्बन्धी प्रश्ननुं जाणे साध्वीजी भगवन्तने निराकरण जणावता होय एम लागे छे । वळी सिद्धाचलजी पर पोते करावेला देरासरनी प्रतिष्ठा वखते पण साध्वीजी हाजर रहे तेवी भावना तेमणे पत्रान्ते जणावी छ । एकंदरे पत्रालेखन परथी साध्वीजी भगवन्त शेठना परिवारना अत्यन्त उपकारी हशे के कोई स्वजन हशे एवं अनुमान थाय छे। स्वस्त श्रीपालीतणा श्रीआदीजीन प्रणमः । श्रीपारश्वजीन प्रणमः । श्रीपालीताणा महा शुभ शथांने पुजाराधे सर्व ऊपमा लायक, ओक वीध अंशजीमना टालणहार, दोअ वीध [धरम]ना परूपणहार, त्रेण ततवना जांण, चार कषाअना जीपक, पंच महावरतना पालणहार, पंच सुमतें सुमता, त्रेण गुपतें गुपता, साधुना सतावीश गुणे करी शोभीत श्रीजीनशासन ऊदोत करणहार, रतनवईना उपदेशक, ओम अनेक गुणे करी लाअक मुनीजी श्रीश्रीश्री५कीरतीवीजेजी तथा शाधुशमस्त परीवार चरणं(णां)न चरणकमलांण श्रीतारंगाजी घडथकी सा० दोस्त वसीधर वांछा तथा दोसी रूपचंद वसीधर तथा देवो आतमरांमलानी तथा मेता जेठा मुंना तथा श्रीवडनगरनुं महाजीन तथा श्रीघडवाडा- महाजीन तथा गांम सीपोरनु माहाजीननी वंदणा वार १०८ करी अवधारजोजी । जत श्रीनंदीश्वरधीपना चोमख परनी परतीसटानु मुहरत महा शुद ५, वार सुकर नरधारुं छे । ते उपर श्रीसंघ शमस्त सर्वने तेडीने वहला पधारजोजी । तमो आवे श्रीजीनशासननी शोभा घणी वधसे । सवत् १८८० मागसर वद ११ ल० शेवक आगनाकारी, पाअरजीरेणुशंमान जेचंदनी वंदणा वार १०८ अवधारजोजी ॥ शब्दकोश १. अंतरे = अत्रे २. सधावानु = निकळवार्नु ३. कारनारू = काढनार ४. मुंडकु = माथा दीठ लेवातो कर ५. दुस्तुरी = एक प्रकारनी करनी रकम (दस्तुर एटले कानुन - तेना काम बदल अपाती मजूरी?) ६. वेनेव्यु = विनव्यु ७. खांमुखां = खास करीने ८. प्रतिसटा = प्रतिष्ठा
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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