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नवेम्बर २०१४
गोडीनें घरे लाभ लीधा छि। श्रीपाखी तो मेलावानी स्थिति करी छि। अठमीय ते श्रावक श्राविका सा० जीवा घीयानें लाभ थया छि। श्रीसंवछरीदान रूपीया ५ नुं भंडारि रतनसंघजी दीधुं छि। इणी पिरिं त्रण्य मासी तप एक साधुई करी नीर्जयों छि। सहिरमध्ये ३२ मासखमण, सोलभक्त ५८ थयां छि। अठाई तो सत उपरि संख्या छ। बीजूं सा० जोईतानी वंदना जांणज्योजी । कहयुं छै जे चक्षु लेई गया हता ते प्रभूनि बिसति थै छि तेह लखज्योजी । बीजू अत्र वर्षा आज लगि घणुं सूखकारि वसि छ । श्रावण सुदि आठम दिने तो उपाश्रय मध्ये कुंभिठ बूडी हती एहवूं पाणी च्यारे खूणे भराणुं हतुं ते पृछ्योजी। बीजूं अगासी घणु क्षीण थै छितो उपरि पजूसणमध्ये घणुं घणुं कर्तुं पिण कोईमां द्रव्य खरच्यानो तागात नथी । ते तो बंध वात बिठी नही वली पणि कहीइ छि। बीजूं घर २ भाडुतना पणि पडी गया छि। तेनी पणि वलि नथी । आगी जणास्यि । बीजूं तुमे शीष्यार्थि लिख्यूं हतुं ते वछ पं० कपूररत्ननि पणि लख्यूं छि मातर इत्यादिक भणी अत्र पणि जोईइ छि पणि सुभक्षि करी कोई लाभतु नथी. सा० जोईता सा० सूरचंदनि कहयूं तो कहि जे आज तो सर्व उठी परदेश गया ते तो न जडि | तथा डमर समई लाभ पणि कपूररत्नजी तथा समख्य श्रावक-श्राविका खेडाना तथा ऽत्रनाहीत -स्नेही कहिजे । पं० हेमरत्नजी पासि छे ते योग्य छि। ते कोई विधान करि मागी लेवो घटि छ । घणुं निपुण छि। तमारि योग्य छ । जिम तिम उत्तरभेद करीनि लेवो योग्य छ । पछि तो श्रीजीनि गमि ति कर्यो । सहु स्नेही कहिजे पछि मोटो तई माया वलगि कोई खरि दुरलभि पणि नापि यथा कहि छि तिम लिख्यूं छि इम करवूं योग्य छि। परनी वात कहिवी ते अयोग्यता पणि पूर्वे पं० हेमरत्नजीनि मुखावलि कह्युं हतुं वली समय माफकनि वली समयानुसारि जोति आवी मलिस्यि जिम पछि ते रित श्रीजी करस्यो ते प्रमांण छि । बीजूं खेडा मध्ये जनमुखि तमारो पं० शांतिरत्नाजीने पगले महिमा प्रशर्यो छि। रोगी सोकी कै आवी नमि छि तेहनि व्याधि उपशांति थाइ छि ए समाचार विशेष छि। बीजूं तुम्यो अवसर सांभली तुरत सुर्यपुरथी अत्र विषम समय मध्ये आव्या पणि पं. नयरत्नजीनो कागल पणि चीठी कोई लखी नथी । पूर्वि पंन्यास छतां पणि पत्र लिख्यो नथी । एह अनूतानबंधीओ क्रोध विशेष एहवुं गछमां घणुं विरूठ दीसि छि । श्रीजीतो नायक छे, योग्य छो, उपदेश देवा समर्थ छो हृदई विचारी जेंम गमि तिम करज्योजी । पत्र लिखि तथा न लखि गया ते आवि नही पणि विवहारि घणुं ज भुडुं दीसि । वली सर्व हकीगति श्रीजीनि तो मालिम छि ते पृछ्यो। बीजूं दिन परिपालीनिं श्रीजीने पासि आव्यानुं दल छि। तथा पं० शांतिरत्नजीनि १ वर्ष पहिलां सेतुंजीनी
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अनुसन्धान- ६५ पणि यात्रा जरूर करवी छि पछि भाविनि हाथ छि। चींतव्या विचि छल पडि, जिन करि सो होइ । बीजूं श्रीसाहिबजीनी महिरनिजर छि तेहथी अधिकी चाहिइजी । कृपा करी वलमानपत्र विशेषि पंडित हीन करी लखवोजी श्रीपूज्यजी पासि जे कोई अन्य गुरू - लघू तेहनि अमारि वंदना कहिवी । तत्रना ठाकुर श्रीदलाजी, ठा. श्रीरायभाणजी, ठा. श्रीजेठीजी, ठा. श्रीसुमांणसंघजी, ठा. श्रीपंडितसंघजी, ठा. गुमानसंघजी, ठा. श्रीरूपाजी, ठा. श्रीनारसंघजी, ठा. श्रीदानाजी, ठा. श्रीमेघाजी, श्रीसंघजी कु. श्रीयशाजी भा. दणगाजी, कु. श्रीभावाजी साथ समक्तनि प्रत्येक प्रत्येक मारा श्री सहिदई मदनि (2) दवा आसीस कहियोजी बाई हीरबाई, बाई वलमबाई, आणंदबाई, नान मोट, सर्वरूपबाई सर्वनि जै कोई उपाश्रय आवि संभारि धर्मलाभ कहियोजी.......
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श्रावक षं० कल्याण समस्त श्रावक नान मोट श्राविका ऋखमणी श्राविका समस्त नान- मोटनि प्रत्येक प्रत्येकि धर्मलाभ कहियोजी । वी जीवा सपरिवार सजांणी सपरिकर पंड्या सुंदर सा. विश्राम समख्य जे कोई आपणने संभारि तेहनि धर्मलाभ कहिवो । अमारि वती श्रीसजाजीनि घणुं घणुं करी धर्मासीस कहियो । इहां सरिखू कांम-काज लखावज्यो । वरस प्रति १ वार पणि अमनि संभारज्यो । जरूर एवं वाचज्योजी अत्रनी देवयात्रा समख्यनि संभारि संभारि करोड़ छिजी । बी. श्रीजीनि पं. सुंदरविजयजीइं वंदना लखावी छि। पं. लालविजयें वंदना लखावी छ। पं. कपूररत्ननी वंदना वांचयोजी । अत्रना श्रावक श्राविकानी वंदना वांचयोजी । पं. तिलकरत्ननी वंदना वाचयोजी तत्र भक्ति भाव घणुं श्रेय छि। मीषें पणि मासखयण ३ थया छि खेडा मध्ये दशभत्तु श्रा. जेठीइं कर्तुं छि तथा सामदासनी बेटीइ ८ कर्या हता। केसर आदि पर्वनी यतनाई उछव सारो थयो छि। बीजूं आज सुद्धी गनीस घोलका मध्ये छि । श्रीभंडारीजी बारसिं सांभली पोलि चड्या छेने साणंदथी गाउ पांच परा पड्या छि। बीजूं हजूरमध्ये नवा सुबानी मकर छि। पूर्वी सुबो इहां आवस्यि पणि वात नथी बणी । दख्यणमां दामा कथानि भडाइयो छि पणि ईहा रतनसंघनी नजर छि जे सर्व देस गमिठाठ बांधस्यि रानीपस्युं अडी रह्या छि ए समाचार छि। बी. हर्षलो तो सर्वथा बगड्यो तिणि करी काढी मेल्यो छि ते पृछ्योजी । तत्रा देशना समाचार सर्व लिखयोजी । उ० जसरत्ननी, पं० सुमतिरत्नजीनि वंदना कहावयोजी । तपीया माणीक्यरत्ननि सुखसाता तैडाववा घडि तो कागल लिखी तेडावयोजी । अत्रना श्रावक सा० हीरा समस्त श्रा० बचूया साथ समस्तनी वंदना अवधारवीजी संकरयानी वंदना जांणयोजी । बी. तत्र कांई रू. २२नी जोड जाडि करीनि मोकलावो। अत्र अंगासी