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________________ नवेम्बर - २०१४ २०७ २०८ अनुसन्धान-६५ (२०) अमदावाद बिराजमान देवेदसूरिजीने जोधपुरथी श्रीसङ्घनो विनन्तिपत्र बनणा १०८ वार वचावसी । श्री। १९०७ पोस वद ५ भोमवार । दूहा : संघ सकल मिलिने सदा, वीनती करै छई एह, नागोरें पधारज्यो, मनडुं तुम चरणेह. १ थे गिरुआ गुणवंत छो, वीर सोहम पट्टधार, महामुनिवर करनें मया, द्यो दरसण इक वार. २ जिम मन पसरें माहरो, तिम जो कर पसरंत, चरण ग्रही सरणें रहुं, अमृतध्वनि विलसंत. ३ पदपंकजरजभ्रमरसम, नित सेवक सुभ चाल, आग्याकारी अधिक मन, रंजन अतहि रसाल. ४ ॥ देशी - नणदलकी ॥ पूज पधारो अम देसडै, नयर नागोर मझार सदगुरु, संघ सकलनी वीनती, मानज्यो निरधार सदगुरु. १ पूज पधारो..... संघ ऊपर सुनिजर करी, आवी करो चोमास सदगुरु, धर्मलाभ थास्यै घणौं, सहुनी पोहचस्यै आस सदगुरु. २ पूज पधारो.... तुम दरसणनें ऊमण्या, भविजन जप रह्या जाप सदगुरु, जिण दिन तुम दरसण होस्यै, मिटस्यै मोहसंताप सदगुरु. ३ पूज पधारो.... प्रेमें प्रथम जिणंदने, जूहारो जगभाण सदगुरु, तपगच्छकेरा राजीया, निरुपम नयना जाण सदगुरु. ४ पूज पधारो..., नियम तपादिक अति घणा, होस्यै हरख अपार सदगुरु, पटकूलादिक बहु परै, पथरास्यै घरे सार सदगुरु. ५ पूज पधारो.... श्रीविजयजिनेंद्रना पाटवी, श्रीय देवेंद्रसूरीराय सदगुरु, गुरु प्रतपो रवि ससि परै, रूपेंद्र रंग सवाय सदगुरु. ६ पूजा पधारो.... सौ प्रथम संस्कृतभाषानां २ पद्योमा श्रीपार्श्वनाथ प्रभुने, त्यार बाद पांच पद्यो द्वारा क्रमथी पांचेय जिनेश्वरोने, त्यारबाद दूहाबद्ध वर्णनामां माणिभद्रयक्ष, सरस्वतीदेवी, गुरुभगवन्त, पद्मावती तेमज चक्रेश्वरीने वन्दन करवारूप मङ्गलाचरण करी प्रथम ढाळमां कवि गुर्जर देशनुं प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत रीते रजू करे छ । जो के ते करतांय अमदावाद शहेरनी वर्णना करनार मत्तगयंद अने त्रिभङ्गी छंदनां पदो चडीयातां छे। शहेरनी दरीयाशा पीर, हठीभाई- देहरुं, भद्रकाळी मंदिर, माणेकचोक, सेठ मगननो बाग, अष्टापदनुं जिनालय, आवी घणी हकीकत ऐतिहासिक दृष्टिए, तो बीजी नगरकोट, प्रजाजन विगेरेनुं वर्णन काव्यात्मक दृष्टिए महत्त्व- छे । सूरिजीना ३६ गुणोनी स्तवनानां पद्यो आ काव्यनी विशेषता छ । अन्य विज्ञप्तिपत्रना गुणवर्णनानां पद्यो करतां आ पद्यो घणां सुन्दर तेमज विशेष बोध आपनारां छे । त्यार पछी 'मोतीडा' देशीमां सूरिजीना आभ्यन्तर गुणोनुं वर्णन करी कवि मरुधर देशनुं वर्णन करे छ । पत्र जोधाणाथी लखायो होइ पत्र लेखनक्रमानुसार कविए त्यार पछी जोधाणाना राजा, राजरिद्धी, लोकव्यवस्थानु, जैन-जैनेतर मन्दिरोनुं, लोकोपयोगी सरोवर, वाव-बाग-बगीचार्नु तेमज श्रावकसमुदायतुं बारीकाईथी आलेखन 'गझल'मां रजू कयु छे । अहीं पण कवि जोधपुरनो चितार आलेखवामां सफळ थया छ । त्यार पछीनी ढाळोमां श्रीसङ्घना श्रावकोनुं गुणवर्णन, सूरिदर्शननी तेमनी चाह, तेमज सूरिजी पधारता सङ्घना उत्साहनी वातो कविए वर्णवी छ । सूरिजीना सहवर्ति मुनिवृन्दने वन्दना निवेदित करी संवत् निर्देशपूर्वक स्वनामोल्लेख जणावी पद्यपत्र कवि पूर्ण करे छे । गद्यपत्रनी शरुआतमां मुडीयालिपीमां सूरिजीना १८ गुणो तेमज अन्य आन्तरिक गुणवैभवने जणावी श्रीसङ्घनी सूरिदर्शनोत्कण्ठा तथा चातुमासार्थे पधारवानी विनन्ति रजू करे छे. पत्रान्ते फरी सूरिजीना पधारता थनारा सुकृत्योनी पद्यात्मक रजूआत करी सूरिजीना वधामणा करवापूर्वक खामणा सत्कृत्योनी याचना करे छ ।
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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