________________
नवेम्बर २०१४
घणौ कांई विनवां आप तौ सरव जांण छौ। श्रीसूधर्मास्वाम री गादी विराजीया छौ सु जरूर कीरपा कर संघने लाभ देखीनै ईणांनुं रखावसि । संघ उपर कीरपा सूदृष्टी रखाव जिणथि विसैष रखावसी । श्रीधरमध्यांने देवजात्राए संघनै याद करावसी वलमांन सूखलेख कीरपा करने दीरावसी। संघ लायक सेवा बंदगी फूरमावसि। सरब साधूनै वंदणा केसी । संवत् १८९६ रा पोस सुद १४ सुकर वार खीवजा राजगरा सुग चंद हरखचंद रही... वनण (णा) वंचावसी..
?
दूहा : संघ सकल मिलनें सदा, [आ चार दूहाओ पृ. २०७]
| देशी - गुहंलीनी ॥ सवाई गुरु एहनी चाल ॥
प्रणमी श्रुतदेवी माय, गाउं श्रीतपगछराय, जस नामें नवनिधि थाय,
सूरीश्वर वीनती अवधारो, हित नित करि (री) चित्तमां विचारो जोधाणें जरूर पधारो, आवी वीरजिणंद जुहारो. २ सूरीश्वर ......
१८९
तुम्ह दरसन प्यारे लागे, संघ वीनवें अधिक रागें, चोमास करो वडभागे. ३ सूरीश्वर..... गुरुसूरति मोहनगारी, सहुनें देखत लागें प्यारी, एह गुरुनी जाउं बलिहारी. ४ सूरी.... संघनो आग्रह मानीजें, वाणी अमृतरस पोषीजें, गुरु चरण कृपारस दीजे. ५ सूरीश्वर... गुरु आयां लाभ ज थास्यें, व्रत नियम तपादिक आस्यें, पटकूल घरे पथरास्यें. ६
सूरीश्वर.......
पोसा पडिकमणा सार, साहमीनी भगति अपार, वरस्यें सिद्धपद जयकार. ७ सूरी..... इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिज्जाए निसिहीआए मत्थएण वंदामि। इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अब्भुटिओहं अब्भिंतर दिवसीयं राइयं पक्खियं चउमासिय संवच्छरियं पांचे पडिकमणें खामेउं इच्छं |
सीरी सीरीमल मनरूप जुहरमलरी वदण १०८ वर वदण वचावसी । वनण १०८ वचावसी कीराप (रपा) राखावसी ।
१९०
(१९)
अनुसन्धान- ६५
पालनपुर बिराजमान विजयदेवेन्द्रसूरिजीने नागोरी कागजीनो पत्र
संस्कृतमिश्रित गुर्जर पद्यमां आदिनाथ प्रभुनी स्तुति द्वारा कवि पत्रालेखननी शरुआत करे छे. त्यार पछी अनुक्रमे शान्तिनाथ, नेमनाथ, पार्श्वनाथ, वीरप्रभु तेमज माणिभद्रजीनी स्तुतिरूप मङ्गल करी कविए गुर्जरदेशनं वर्णन शरु कयुं छे । ज्यां शत्रुञ्जय अने गिरनार जेवां पावन तीर्थो छे ते देशनां केटला वखाण करी शकाय तेम कही कविए पालनपुर नगरनी वर्णना करता पल्लवीया पार्श्वनाथ जिनालयमां थता महोत्सवनुं, त्यांना श्रावक-श्राविका गणनं, व्यापारीवर्गनुं नर-नारी वृन्दनुं सामान्य वर्णन आलेख्यं छे। त्यार पछीना दूहा तथा देशीमां सूरिजीना ३६ गुणोनी वर्णना करी कवि विजयदेवेन्द्रसूरिजीना गाम, माता, पिता, वंशादिना नामोल्लेखपूर्वक स्तुति द्वारा सूरिजीने नागोर पधारवा विनन्ति करे छे । सवैया तथा कवित्तना पद्योमां फरी सूरिगुणस्तवना वर्णवी पछीना पद्योमां गुरुदर्शनना अभिलाषने कवि वर्णवे छे। पत्रनी मध्यमां २१ श्लोक वडे करायली सूरिगुणवर्णनाने आ पत्रनी विशेषता कही शकाय । पालनपुरमां पूज्य श्री शा कारणथी पधार्या ते कारणोने जणावी करुणाथी ए गुरुजीने मरुधरमां पधारवुं जोइए एम रजूआत करे छे । 'आज हजारी" देशीमां नागोर शहेरनी राज्यव्यवस्था, स्थापत्यो, जैनेतरमन्दिरो, जिनालयो, उपाश्रयोनी अद्भुत वर्णना रजू करी छे। त्यार पछीनां पद्यो पण उपरना ज वर्णनना पूरक होइ राजाधिराजना गुणोनुं तेमज राज्यरिद्धिनुं वर्णन त्रिभङ्गी छन्दमां तथा त्रोटक छन्दमां कवि आलेखे छे । राज्यना अन्य वहीवटदारोनुं वर्णन 'अज जिम...' ए चालमां करी नागोरना परिसरनी अन्य तीर्थभूमिओनो कविए सुन्दर चितार रजू कर्यो छे सूरिजी साथे विराजमान मुनिवृन्दने पोतानी तेमज सहवत्ति मुनिवृन्दनी वन्दनानुं आलेखन 'अजित जिणंद' ए देशीमां रजू करी गद्यपत्रनी शरुआत सूरिगुणवर्णनथी ज करे छे। पं. रूपेन्द्रसागरजीनी चातुर्मासिक आराधनानो उल्लेख त्यार पछीना गद्यपत्रालेखमां जोवा मळे छे। फरीना चातुर्मास माटे पंन्यासजीने ज राखवा एवी विनन्ति करी आगळना दूहाओमां
44
1