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________________ नवेम्बर - २०१४ १८५ १८६ अनुसन्धान-६५ परमानंदपद थाय सखी मोयें वंदन दे, भारतीकंठ विराजता सखी वंदन दे, कलि गौतम अवतार, सखी...... अबोध जीव प्रतिबोधवा सखी...., तप तेजें दिनकार सखी.... १ पूज.... एक असंजम टालता सखी...., दुविध धर्मदातार सखी...., तीन तत्त्व वाचक वरु सखी...., च्यार कषायकुठार सखी.....२ पूज.... पंच महाव्रत पालता सखी...., जीवरक्षक षटकाय सखी...., भय साते ही परहर्या सखी...., आठे मद ही हठाय सखी.... ३ पूज.... वाड नवे ब्रह्मचर्यनी सखी...., पालक विसवावीस सखी...., आदर करिने आदर्या सखी...., दश यतीधर्म जगीश सखी.... ४ पूज.... वाचक अंग इग्यारना सखी...., पडिमा मुनिनी बार सखी...., धारक वारक मोहना सखी...., पारक सुद्ध आचार सखी.... ५ पूज.... जीत्या तेरै काठिया सखी...., चउद विद्या बहु जांण सखी...., सोहमगणधरपटधरा सखी...., पनरै सिद्ध वखांण सखी.... ६ पूज.... सोल कला शशि निरमला सखी...., पूनिम परें जस लीध सखी...., सतरै भेद संयम वरा सखी...., एकंत तन मन कीध सखी.....७ पूज.... सील अंग जिन उपदिस्या सखी...., धारक सहस अढार सखी... काउसगना वलि जाणिये सखी...., उगणीस दोष निवार सखी.....८ पूज..... वीसथानिकतप आकरा सखी...., उपदेशक गुरुराय सखी....., इकवीस सबला सिद्धांतमे सखी...., जाण तज्या मुनिभाय सखी.....९ पूज.... दुर्धर-परिसह जीपीया सखी...., मन-सुद्धे बावीस सखी...., सुयगडांगना वीरजी सखी...., कह्या अज्झयण तेवीस सखी.... १० पूज.... आणा जिन चोवीसनी सखी...., पालक आप जगीस सखी...., भावना पणवीस भावता सखी...., कप्पाज्झयण छवीस सखी.... ११ पूज..... निरमल गुण मुनिराजना सखी...., जाणक सत्तावीस सखी...., नंदीसूत्रमें मतिज्ञानना सखी...., भेद कह्या अडवीस सखी.... १२ पूज.... पापश्रुत सिद्धांतमें सखी...., कह्या जिनवर गुणत्रीस सखी...., मोहनीकर्मनें वारता सखी...., पूरा थानक तीस सखी.... १३ पूज.... सिद्धनां गुण तें जाणिया सखी...., शास्त्र थकी इगतीस सखी...., जोगना संग पिण धारीया सखी...., वलि लक्षण बत्रीस सखी.... १४ पूज.... आशातन सदगुरुतणी सखी...., टाली आप तेतीस सखी....., अतिसय जिनना जाणता सखी...., उपदेशक चोतीस सखी.... १५ पूज..... वाणी गुणथी गाजता सखी...., त्रिगडै जिन पेंतीस सखी....., छत्तीस उत्तराध्ययनना सखी....., वाचक आप जगीस सखी..... १६ पूज..... गणधर पदना गुण घणा सखी....., पिण संख्या छत्तीस सखी...., पंडित दीपविजय तणो सखी...., सिद्ध नमें निस दीस सखी..... १६ पूज....* [अनुद्दत पद्यो-] [....अवसर पामी सार. ३ पृ. २०० पछी-] मनआनंदे महामुनी, वंदै पास कल्याण, आदीसर अवलोकतां, मन उपनो सुभ ध्यान. ४ तीन सिखर भूमी वली, तीन तिहां जिनराय, वांदी बैठा मुनिवरा, मन आनंद न माय. ५ वली कंसारापोलमै, देहरा दीपै दोय, जेठा लखमीचंदनो, वली दलजी खुस्यालनो होय. ६ खजुरी मोहला विचै, उपासरो चोसाल, तिहां विराजे गणधरा, देशन द्ये सुविशाल. ७ वेदवाडीमांहि वली, वायांनी ध्रमसाल, आगे वली त्रिपोलीयो, चलै तिहां सुभ चाल.८ संवेगी मुनिवर तणो, उपासरो इक सार, मोलवाडामें देहरो, कर्मचंदनो धार. ९ इत्यादिक महाधामनें, ..... आ पत्रमा हवे पछी आवता दूहा, श्लोक, ढाळो व. पालनपुर विराजमान विजयदेवेन्द्रसूरि पर रूपेन्द्रसागरजीओ नागोरथी लखेला पत्रमा (क्र, १९) यथावत् उद्धृत थयां छे. तेथी ओ पद्यो अत्रे न लेतां फक्त अनुद्धत पद्यो ज अत्रे छाप्यां छे. समग्र पत्रना वर्णनक्रमनो ख्याल आवे ते हेतुथी पत्रनी सम्पादकीय भूमिका यथावत् राखी छे. वास्तवमां आ पत्र मूळभूत होवाथी अने रूपेन्द्रसागरजीनो पत्र आना पनलेखनरूप होवाथी आ पत्रमा बधां पद्यो छापी बीजा पत्रमा अतिदेश करतो जोइतो हतो, पण अमारी पासे लखाण अलग क्रमे आव्यु होवाथी तेम करवू शक्य नथी बन्यु. - शी०।
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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