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________________ सं. १८८१मां मेडताथी लखायेलो आ पत्र पण मारुगूर्जर भाषामां अने पद्यात्मक छे. पाटण पर 'हामा गायकवाड'नुं राज होवानो उल्लेख महत्त्वनो छे. पाटण- तेमज मेडतानुं विस्तृत वर्णन करता त्यांना अनेक स्थानो, देवस्थानो, बजारो, ज्ञातिओनुं वर्णन कविए आप्युं छे. उपाश्रयवर्णन ए आ पत्रनो विशेष छे. उपाश्रयना बांधकाम विषे, तेमां यक्ष माणिभद्रना स्थान विषेनी, मोतीदाम छन्दमां थयेली नोंध खास ध्यानपात्र छे. __मेडता-उपाश्रयमां पण माणिभद्रना स्थाननी वात, १०८ गुरुगुण, राजा मानसिंह राठोड, मेडतामा ११ जिनालयो, विविध देवस्थानको, 'हीर' गुरुनां पगलांनी देरी, आ बधुं वर्णन खूब रोचक तथा विगतप्रचुर छे. अगाऊना पत्रो जेवं ज लंबाण वर्णन धरावतो पत्र - एम कही शकाय. आ पत्रो भाषा अने इतिहासनी रीते खूब रसप्रद छ एम फरीथी कहेवार्नु मन थाय, आ पत्र सं. १८८९मां मुम्बई बन्दरे बिराजता गच्छपति विजयदेवेन्द्रसूरि उपर सूरतना संघे लखेल क्षमापना-पत्र छे. तीर्थकरोना तथा माणिभद्र यक्षनां स्मरण-मङ्गल पछी १०१ गुरु-गुणगान पांच ढाळोमा थयु छे, मोतीचंद (मोतीशा)ना पुत्र खीमचंदने कवि 'नगरशेठ' तरीके ओळखावे छे, जे तेमना प्रभावनुं सूचक छे. चीन देशनो माल अहीं खूब आवतो होवाथी अहींनुं धन-रोकड नाणुं त्यां खूब वहे छे तेवो उल्लेख महत्त्वनो गणाय. 'कुलाबा (कोलाबा)'मां श्रावकोनी वस्ती होवार्नु पण आमां नोंधायुं छे. अमीचंद साकरचंदना पुत्र मोतीशा ओसवाले सं. १८७४मां शत्रुञ्जयनो संघ काढ्यो, १८८५मां मोतीशा- कमां आदीश्वरनी प्रतिष्ठा करी. ते इतिहास पण आमा छे. 'भोएखला' (भोंयखळा (खळानी भूमि) - भुंइखला - Byculla - भायखला)मां मोतीशानी वाडी. तेमां तेमणे ऋषभदेव बेसाडेला छे ते, तथा त्यां दादासाहेबनां पगला पण छे - आ बधी विगतो आमां छे, ते जोतां स्पष्ट थाय छे के भायखळानुं स्थान शेठनी वाडी हती, तेमां तेमणे पोते देरासरादिनुं निर्माण करेलु, पण ते वाडी देवसमर्पित-देवद्रव्यनी जग्या होवानो कोई ज संकेत के सूचन आमां थयां नथी. कल्याणजी कानजीना पुत्र बालाभाई उर्फे दीपचंदे १८८७मां शत्रुञ्जयनो संघ काढ्यो, कपुरचंद बोघाना पुत्र फूलचंदे 'घोघा मां पार्श्वनाथन देरासर बनाव्युं, खडतरगच्छना मारु हीराचंदे चिन्तामणि चैत्य (पायधुनी) कराव्यू, आ बधी विगतो तथा अन्य श्रावकोनां नामो आमां मळे छे. आ श्रावकोए गुरुने मुम्बई तेडाव्या होवानुं समजाय छे.. (नोंध : महुवाना जीवितस्वामी भगवानना मन्दिरनो जीर्णोद्धार ताजेतरनां वर्षोमां थयो त्यारे जीवितस्वामीनी पलांठीमां चोतरफ चोडेल पतरां उखाडतां नीकळेली एक पट्टीमां कपुरचंद बोघाना नामनो तथा संवतनो उल्लेख, घोघाना नामपूर्वक वाचवा मळ्यो हतो. ते पट्टी ते वखते हाजर गृहस्थे क्यांक वगे करी होय तेम लागे छे.) नवमी ढाळ, क. १मां गुरु देवेन्द्रसरिनो परिचय छ : वतन पालडी, माता रूपा. (पितानो उल्लेख नथी). मुम्बईमा मध्यमां पार्श्वनाथ (गोडीजी?)नुं जिनालय, आणसूरगच्छे आदीश्वर, सागरगच्छे शान्तिनाथ, मूळ कोट (फोट)मां पण शान्तिनाथ - आटलां देरां ते वखते त्यां हां, एम आमाथी जाणी शकाय छे. आ पत्र / पत्रोमा मणिभद्रजीनो उल्लेख बह भक्तिथी थतो होय छे. एक ढाळमां नोंधाया प्रमाणे, आठमे-चौदशे तेमनी सेवा करतां घणो लाभ थाय छे. मेवास(महीवास)मा मगरवाडा क्षेत्रमा माणिभद्रने नमवा गच्छपति पण जाय छे. मुम्बई पछी कवि सूरतनुं वर्णन करती गजल लखे छे. तापी नदी, १२ दरवाजा, तोपो, अंग्रेज राजकर्ता 'लबीष्टीत्' (भ्रष्ट रूप छे), आडेसर (अरदेशर) कोटवाल, किल्लेदार मालेसिंह, नसरुद्दीन नवाब, इत्यादि नामो ऐतिहासिक सामग्रीरूप छे. मुस्लिमो पछी पारसीओना वर्णनमां, ते लोको 'आग'ने देव माने, 'तापी'ने माता गणी नमे ते विगत पण मजानी छे. मुगलीसरा, चीनीखानु, गुजरीहाट, गोपीपुरा वगेरे स्थानोनी नोंध आमां थई छे. गोपीपुरामां जवेरी ओसवाल, भणशाली आदिनो निवास छ, तपागच्छनो उपाश्रय अने तेमां पत्रलेखक (प्रेमविजय) चोमासुं छे, ते वातो पण कविए वणी लीधी छे. ओ विस्तारमा धर्मनाथ, सूरजमण्डन, गोडीजी, शड्डेश्वर - एम ४५ देरां छे, आ शहेरमा ८४ गच्छो हता, उपाश्रयमां हाथी पर आरूढ मणिभद्रनी स्थापना छे, आवी विविध
SR No.520566
Book TitleAnusandhan 2014 12 SrNo 65
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages360
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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