________________
23
माहिती कवि आपे छे.
आ पछी अश्वनीकुमार, बाला हनुमानथी मांडीने विविध धर्मनां देवस्थानकोदरगाहोनी विगतो नोंधवामां आवी छे. गद्यभागमां गुरुनां घणां बिरुदो, विविध ज्ञातिओगत श्रावको - श्राविकाओनां नामो आपेल छे, जे इतिहासनी रसप्रद सामग्री बनी रहे तेम छे.
सूरत पधारवानी विनंति करतां कवि मुम्बईनी निन्दा पण मजेदार करे छे: कुंकण देशनी मुम्बई नगरीना लोको निर्मोही छे, तेमने तमारा पर भाव नथी, छतां त्यां तमो शुं मोही पड्या छो ? वळी, त्यां मांकड, चांचड, मगतरां, मच्छरोनो भारी प्रकोप छे. एवा क्षेत्रमां न रहेवाय, अहीं पधारो !
छेले विनंतिनी ढाळमां गुरुनो परिचय पुनः आपतां तेमनां माता रूपा, पिता अमीचंद एम नोंध आपी छे. पत्रने छेडे श्रावकोना हस्ताक्षरो छे, ते अंश अहीं छापेल नथी. आ पत्र पण सचित्र छे.
(१८)
आ पत्र पण जोधाणा - जोधपुरथी लखायो छे, सचित्र छे, देवेन्द्रसूरि उपरनो छे. लखनार भिन्न, वर्ष भिन्न, तेथी एक ज स्थानेथी भिन्न भिन्न पत्रो लखायेला जोवा मळे छे. दरेकमां थतुं जोधपुरनुं वर्णन महदंशे समान होय, पण पत्र मोकलाय ते क्षेत्र बदलातुं होवाथी तेनुं वर्णन नवं होय. आ पत्र वीसलनगर (वीसनगर) मोकलायो छे.
प्रथम 'छप्पय 'मां ज गुजरात देशने काबल (काबुल), बलख (बल्ख), खंधार (कन्दहार - गान्धार) जेवा देशोने जीती जाणे तेवा बुद्धिमान लोकोना देश तरीके गणाव्यो छे.
वीसलपुरमा 'खान' नामे कोई शासकनुं राज छे. मन्त्री इच्छाचंद, हाकेम दीनदयाल, पण्डित भाऊ फणेस, शेठ मंछा मगन तथा अन्य महेता रामजी - आ बधा राज्यना पदाधिकारीओ जणाय छे. विविध दरवाजा, देरां, पोळो, वाव; देरासरोमां कल्याण पार्श्वनाथ तथा आदीश्वरनं त्रिशिखरी मन्दिर, कंसारापोळमां बे मन्दिर, मोलवाडामां एक मन्दिर, खजुरी महोल्लामां एक उपाश्रय ज्यां गुरु बिराज्या छे ते, मोलवाडामां एक संवेगी उपाश्रय, वेदवाडीमां धर्मशाला- आ
-
24
बधुं त्यां होवानुं कवि जणावे छे, जे इतिहासनी रीते महत्त्वपूर्ण छे.
(१९)
नागोरथी पालणपुर लखायेलो आ पत्र मुख्यत्वे मारवाडीमां छे, पण मांना त्रिभङ्गी छन्द तथा केटलांक कवित्तोमां व्रज के चारणी भाषानी छांट खास्सी छे. आमां पण शत्रुञ्जय अने गिरनार द्वारा गुजरातनी ओळख आपी छे, उपरांत शङ्खश्वरनो उल्लेख पण गुजरातनी विशेषतालेखे थयो छे. पालणपुरमां नवाबी राज छे, कारभारी मोती महेता नामे छे, ते नगरवर्णनना आरम्भे ज नों धायुं छे.
गुरु देवेन्द्रसूरिनो परिचय अहीं पण अपायो छे : सेत्रोवा गाम, ओसवाळ वंश, चोपडा गोत्र, अमीचंद - सरूपदेना पुत्र, जिनेन्द्रसूरिना पट्टधर.
२१ श्लोको सं. ना छे. ते वांचतां थाय के कविए आना करतां भाषामां ज पद्यरचना करी होत तो वधु मजा आवत. नागोरना वर्णनमां राठोडोनुं राज्य, ७ पोळवाळो गढ, अनेक सरोवरो, पीर अने विविध देवोनां स्थानको जिनालयो, बे दिगम्बर दे, तपगच्छना ५, पासचंदगच्छना २, खरतरोना ३, लोंकाना ४ उपाश्रयो राजमार्ग पर पांच पोषालो आ बधी ऐतिहासिक विगतो आ पत्रमां प्राप्त थाय छे. आ पण सचित्र पत्र छे.
(२०)
सं. १९९६मां जोधपुरथी लखायेल आ पत्र पण कवित्वनी दृष्टिए विलक्षण / विशिष्ट छे. आना छन्दो, कवित्तो, ढाळो, तेनी चारणी अने मारवाडी बधुं अध्ययनयोग्य छे.
भाषा
देवेन्द्रसूरिने मणिभद्र यक्ष साक्षात् होवानो उल्लेख
"तपगछसानिध तत्परा देविंदने परतक्ष
वर दीधो तिणे हर्षसुं माणिभद्र वड यक्ष"
—
आ पंक्तिओ द्वारा थयो छे, जे बहु अगत्यनो छे. त्रिभङ्गीमां थयेल अमदावादना वर्णनमां दरियाशाहपीर (दरियापुर), शेठ मगनभाईनो बाग (वाडी), हठीसिंहनी वाडी; ते वाडीना बगीचानां विविध वृक्षोनुं वर्णन केटलूं रसाळ छे ! भद्रनो दरवाजो, भद्रकाली मन्दिर, त्रिपोळ-त्रण दरवाजा आदिनो