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________________ जान्युआरी - २०१४ ८३ पासवीर मनजी चतुर सुजांणइं, बिंबप्रवेसिं महोछव कीधो रे । संघ पहिरामणि सामीवाछल्य ।। धन खरची जस बहू लीधो रे ॥९॥ पूजो पू० ॥ जननी बढाइ केरो कुअरीओ, पुण्यवंत एह प्राणी रे । .. जिननी भगति करइ भलेरी, वलि मीठी बोलिं वाणी रे ॥१०॥ पूजो पू० ॥ पासवीर सोनीनी भारया, पीउनी दीसई भगति रे । बिंबप्रतिष्ठाइं पहरी माल, श्राविका जीवई बहु युगति रे ॥११॥ पूजो पू० ॥ जगबंधव जगतारण मलिओ, फलीओ मनोरथ माहरो रे । सोमचिंतामणि पासइ बइठा, भविजन जइं जुहारो रे ॥१२॥ पूजो पू० ॥ ॥ ढाल - राग धन्यासी ॥ तारि रे तारि रे तारि प्रभु माहरा, तुज दरसन देखी श्रीसंघ मोहिं । एकमना प्रभु ओलगो भावस्युं, धनुष अयसी- सरीर सोहिं ॥१॥ तारि रे तारि रे तारि प्रभु माहरा ॥ आंचली ॥ पूरवपुण्यि मइं भगवंत भेटिओ, तुम्ह नाम लेतां होय सयल सिधि । जख्येइंद्र जख्य नि मानवी देवी, घरि बिठां पूरसिं नवह निधी ॥२॥ तारि रे० ॥ आठ पुहर अरिहंत आराहिइं, श्रावक कुलिं भली एह टेवो । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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