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________________ जान्युआरी - २०१४ ८१ सूगंध पाणी फूलनी रे लाल, चोथई वृष्टि थाय मेरे प्यारे रे ॥३॥ तुं जिन० ॥ 'अहोदानमहोदान'नो रे लाल, पांचमइ सबद होय मेरे प्यारे रे । जिहां जिननि होय पारणुं रे लाल, __ तिहां जाणेवां सोय मेरे प्यारे रे ॥४॥ तुं जिन०॥ विहार करइं प्रभु महितलिं रे लाल, विचरिं गामोंगामि मेरे प्यारे रे । छदमस्तपणुं बई मासणुं(y) रे लाल, केवल पांम्या त्रिभोवन सांमि मेरे प्यारे रे ॥५॥ तुं जिन०॥ त्रिगड बइसी दिय देशना रे लाल, तिहां मली परषद बार मेरे प्यारे रे । गणधर छोत्यरि थापिया रे लाल, संघ थाप्यो हुओ जयकार मेरे प्यारे रे ॥६॥ तुं जिन० ॥ भव्यजीवनइं प्रतिबोधता रे लाल, आव्या समेतसिखरि जिनभाण मेरे प्यारे रे । मासखपक(ण)नी संलेसणा रे लाल, पद पांम्या तिहां निरवांण मेरे प्यारे रे ॥७॥ तुं जिन०॥ भिडि भांजई प्रभु भेटिउं रे लाल, साहिब सेव्यो दीइं सुख सार मेरे प्यारे रे । प्रभु पूज्यो पूरण फल दीय रे लाल, ___ एहवो सास्त्र विचार मेरे प्यारे रे ॥८॥ तुं जिन० ॥ ॥ ढाल ॥ पूजो पूजो रे श्रेयांसजिन नजरिं निहाली । __ पहिला निज काया पखाली रे, पछइं साहिबनु अंग पखालो, वालाकुची कीजई कर वाली रे ॥१॥ पूजो पूजो रे श्रेयांसजिन नजरिं निहाली ॥ आंचली ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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