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जान्युआरी - २०१४
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सूगंध पाणी फूलनी रे लाल,
चोथई वृष्टि थाय मेरे प्यारे रे ॥३॥ तुं जिन० ॥ 'अहोदानमहोदान'नो रे लाल,
पांचमइ सबद होय मेरे प्यारे रे । जिहां जिननि होय पारणुं रे लाल,
__ तिहां जाणेवां सोय मेरे प्यारे रे ॥४॥ तुं जिन०॥ विहार करइं प्रभु महितलिं रे लाल,
विचरिं गामोंगामि मेरे प्यारे रे । छदमस्तपणुं बई मासणुं(y) रे लाल,
केवल पांम्या त्रिभोवन सांमि मेरे प्यारे रे ॥५॥ तुं जिन०॥ त्रिगड बइसी दिय देशना रे लाल,
तिहां मली परषद बार मेरे प्यारे रे । गणधर छोत्यरि थापिया रे लाल,
संघ थाप्यो हुओ जयकार मेरे प्यारे रे ॥६॥ तुं जिन० ॥ भव्यजीवनइं प्रतिबोधता रे लाल,
आव्या समेतसिखरि जिनभाण मेरे प्यारे रे । मासखपक(ण)नी संलेसणा रे लाल,
पद पांम्या तिहां निरवांण मेरे प्यारे रे ॥७॥ तुं जिन०॥ भिडि भांजई प्रभु भेटिउं रे लाल,
साहिब सेव्यो दीइं सुख सार मेरे प्यारे रे । प्रभु पूज्यो पूरण फल दीय रे लाल, ___ एहवो सास्त्र विचार मेरे प्यारे रे ॥८॥ तुं जिन० ॥
॥ ढाल ॥ पूजो पूजो रे श्रेयांसजिन नजरिं निहाली ।
__ पहिला निज काया पखाली रे, पछइं साहिबनु अंग पखालो,
वालाकुची कीजई कर वाली रे ॥१॥ पूजो पूजो रे श्रेयांसजिन नजरिं निहाली ॥ आंचली ॥
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