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जान्युआरी - २०१४
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अम्बालालभाईवाळी नकल लगभग १०० श्लोक जेटली वांचीने केटलाक महत्त्वपूर्ण सुधारा करेल छे. जे अत्रे उपयोगी थयेल छे. ___ अक आश्चर्यजनक वात ओ छे के बन्ने नकलोमा केटलाय पाठ, शब्दो, पङ्क्तिओ अने श्लोको तद्दन जुदा छे. लगभग भाव बधे ज सरखो छे, पण शब्दरचना भिन्न छे. प्रतलेखकना हाथे आटली भिन्नता न सर्जाय. अटले ओवी कल्पना सूझे छे के कर्ताओ सौ प्रथम कोटानी प्रतमा जे वाचना छे, ते तैयार करी हशे. अने त्यारबाद तेमणे ज सुधारा-वधारापूर्वक नवी वाचना तैयार करी हशे, जे अन्य तमाम प्रतोमां छे. कोटानी प्रतनी विनयसागरजीओ करेली नकलमां जे भिन्नता छे, ते अत्रे 'वि.' संज्ञाथी टिप्पणमां सूचवी छे. केटलीक जग्याओ "वि.' नो पाठ वधु योग्य जणातां तेने मूळ तरीके मूकी, अम्बालालभाईवाळी नकलना पाठने 'अं.' तरीके टिप्पणमां नोध्यो छे. काव्यने वाचक रसपूर्वक वांची शके ते हेतुथी सुधारा प्रायः ( )मां न दर्शावतां सीधा मूळमां ज कर्या छे.
काव्यनी प्रासादिकता सौ सहृदय रसिकंजनोने अवश्य आनन्दित करशे.
काव्यनो आस्वाद करनार वाचकना चित्तमां श्रीविजयसेनसूरिजीना गुणो प्रत्ये, पं. हेमविजयजीनी काव्यशक्ति, परत्वे तेमज आ काव्यने प्रकाशमां लावनारा उपरोक्त गुणिजनो प्रत्ये बहुमान न जागे ओ शक्य ज नथी. - त्रै.मं.)
कीर्तिकल्लोलिनीकाव्यम्
प्रतापाधिकारः ऐन्द्रं वृन्दममन्दमोदमभजद् यत्पादकामाङ्कशश्रेण्यन्तःप्रतिबिम्बनेन मुकुरप्राप्तेः प्रयत्नं विना । पारावारमिवेन्दुमूर्तिरमला वागीश्वरी सा स्तुतौ, कुर्यात् कोडिमदे-तनूरुहगुरोर्मा काममुल्लासिनम् ॥१॥ रूपश्रीतनुजन्मने जनमनःपाथोजलीलालिने, स्फूर्जत्स्वर्णवरेण्यकायरुचये जेसङ्गनाम्ने नमः । वादिव्रातमदैकतारकभिदाकात्यायनीजन्मने. भूयात् सूरिशिरोऽवतंसमणये तस्मै कमाजन्मने ॥२॥
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