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________________ २८ अनुसन्धान- ६३ ३७९). सं. १६५२मां विजयसेनसूरिशिष्य विनयकुशळे रचेला स्वोपज्ञवृत्तियुक्त 'मण्डळप्रकरण' (प्र. आ. सभा), सं. १६५६ खम्भातमां हेमविजये रचेला ऋषभशतक, सं. १६५८मां कल्याणविजय तथा मुनिविजयना शिष्य देवविजयगणि कृत जिनसहस्र नामनुं स्तोत्र ( तेनी सुबोधिकावृत्तियुक्त) अने कमळविजयशिष्य हेमविजयगणि रचित चिन्तामणि पार्श्वनाथ नामक देरासरनी प्रशस्तिनुं ओमणे संशोधन कर्यु. कल्याणविजयसूरिरास तेमणे बनाव्यो छे. * * * ( हवे आ काव्यना सम्पादन अंगे थोडीक वात. आ काव्यनी श्री अम्बालाल प्रेमचन्द शाहे ई.स. १९३८ मां हस्तप्रत परथी नकल करेली. आ नकल करवामां तेमणे मुख्य आधार, मुनि श्रीविद्याविजयजी द्वारा मळेली आग्राना विजयधर्मलक्ष्मी ज्ञानमन्दिरनी प्रतनो * राखेलो. आ सिवाय तेमणे, मुनि श्रीविद्याविजयजी द्वारा ज प्राप्त थयेली भाण्डारकर इन्स्टिट्यूट - पूनानी तेमज श्री पुण्यविजयजीना सागर उपाश्रय- पाटण खातेना सङ्ग्रहगत तथा केसरीचन्द हीराचन्द झवेरीओ मेळवी आपेली जैन आनन्द पुस्तकालय - सुरतनी प्रतनी पण आमां सहाय लीधी छे. श्री अम्बालालभाईओ करेली कीर्तिकल्लोलिनी काव्यनी आ नकल अमारा वडील पूज्यपाद आचार्य श्रीविजयहेमचन्द्रसूरिजी म. पासे सचवाई रहेली. थोडाक वखत पूर्वे आ नकल तेओए आशीर्वादपूर्वक 'अनुसन्धान' माटे आपी. तेना आधारे ज आ सम्पादन थयुं छे. योगानुयोगनी ज वात छे के थोडाक वखत पूर्वे आ ज काव्यनी बीजी नकल मुनिश्री सुयशचन्द्र - सुजसचन्द्र विजयजी द्वारा अमने मळेली. आ नकल म. विनयसांगरे श्रीपूज्य श्रीपूनमसागरसूरिसङ्ग्रह - कोटानी प्रत (ले. अनुमानित १७मी उत्तरार्ध) ने आधारे ई.स. १९७०मां करेली छे. प्रत अशुद्ध हशे तेथी नकल पण अशुद्ध थई छे. तो पण श्री अम्बालालभाईनी नकलमां चावीरूप सुधारा करवामां आ नकल घणी ज उपयोगी थई छे. जो आ नकल न होत तो काव्य थोडुंक अशुद्ध रह्युं होत. अ ज रीते कोईक अनामी विद्वाने * प्रतनी पुष्पिका लि. योधपुरवास्तव्य - ललितरामात्मजो बालाराम: । वि.सं. १९७२ ज्येष्ठ शुक्ला २ उदयपुरमध्ये लिखिता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520564
Book TitleAnusandhan 2014 03 SrNo 63
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages198
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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