________________
जान्युआरी - २०१४
१२७
तेहने संघाडे पूज्यजी साहेबजी माहापुरुष आत्माअर्थि, क्रीयापात्र, धर्मजात्र, गुणवंत, गुणना भण्डार, पण्डित, राजकवी, राजमुनी, राजगीतारथ, बहुसूत्री, सूत्र सिद्धांतनां पारगामी, तरणतारण, तारणी नावासमांन, हस्तवदन, दंतदमन, खीम्यावंत, दयावंत, लजावंत, वैराग्यवंत, छती रिधना त्यागी, माहावैरागी, बालब्रह्मचारी एवी अनेक उपमा बिराज्यमांन पूज्य माहापुरुष ऋषी श्री७ डाइयाजी स्वामीजी.
__तत्शिष्य पूज्यजी माहाराज्य आत्माअर्थि, क्रीयापात्र, धर्मजात्र, गुणवंत, गुणना भण्डार, छती रिधना त्यागी, माहावैरागी, सरल स्वभावी, भद्रीक प्रणामी, पर उपकारी, सकल जंतुना हितकारी, आचारी, विचारी, ब्रह्मचारी, निर्मल, निरअहंकारी, समतावंत, आचारवंत, गुणवंत, दयावंत, लजावंत, सुधसीखामणदायक, सर्वगुणलायक, चोथा आराना नमुना एवी अनेक सुभोपमालायक पूज्यजी माहाराज ऋषी श्री७ मुलचंदजी स्वामी..
तत्शिष्य पूज्यजी शाहेबजी आत्मा अर्थी, क्रीयापात्र, धर्मजात्र, गुणवंत, गुणना भण्डार, पण्डित राजकवी राजमुनी, राजगीतारथ, बहुसूत्री, सूत्रसिद्धांतनां पारगामी, चंद्रमानी परें सीतलकारी, सूर्यनी परें उद्योतना करणहार, समकित बोध(धि)बीजदातार, मिथ्यातरूप अंधकारना मिटावणहार, तरणतारण, तारणी नावासमांन, समुरी जिहाजसमान कल्पवेल समांन, कामधेनुसमांन, जिनसासनना सिणगार, जिनमार्गना दीपावणहार, टोलानां नायक, मेरुनी परें अडिग, सिंघनी परें सुरवीर, स्वसरस्वतीकंठाभरण, बालब्रह्मचारी, चोथा आरानां नमुना एवी अनेक उपमालायक, सकल सुभगुण लंकृत, पूजजी शाहेबजी माहापुरुष ऋषी श्री७ देवजी ऋख स्वामी.
तत्शिष्य तपसी माहापुरुष आत्मा अर्थी, क्रीयापात्र, धर्मजात्र, छती ऋधना त्यागी, महावैरागी, सरलस्वाभावीक, भद्रीक प्रणामी, पर उपगारी, खीम्यावंत, दयावंत, लजावंत, वैराग्यवंत, समतावंत, चोथा आराना नमुना एवी अनेक सुभउपमा बीराजमान तपसी माहापुरुष ऋषि श्री७ तलकसी स्वामी.
___ तत्शिष्य माहापुरुष गुणवंत, गुणना भण्डार, माहापुरुष ऋषी श्री७ कर्मचंदजी स्वामीजी, तेना शिष्य महाराज विजपालजी स्वामीनी समीपें श्रावकना व्रत समकित सहित आदर्या छे. ते जावजीव सूधी मांड्या प्रमाणे
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org