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रामकुंवरबाईनी पच्चक्खाणवही
अनुसन्धान- ६३
सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय
सं. १९४८ नी वैशाख सुदि दशमना दिवसे रामकुंवरबाईओ स्थानकवासी साधु विजपालजी स्वामी पासे उच्चरेलां, सम्यक्त्व सहित बार व्रतनी - दरेक व्रतनी पोते धारेली मर्यादा दर्शावती आ नोंध छे. श्रावक-श्राविका बार व्रत अङ्गीकार करे तेनी प्राचीन अर्वाचीन घणी नोंधो मळे छे. राणी, बूटडी अने लखमसिरी श्राविकाओनी ताडपत्रीय प्रतमां लखायेली बार व्रतनी प्राचीन नोंधो पूर्वे अनुसन्धानमां प्रकाशित थयेली छे. (अङ्क ३ अने ३६)
आवी नोंधोनुं धार्मिक मूल्य तो होय ज छे, पण साथे ने साथे तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति, रीतरिवाज, मनुष्यजीवन, रहेणीकरणी व अंगे पण रसप्रद माहिती आवी कृतिओमांथी सांपडे छे. भाषाशास्त्रनी दृष्टि पण आवी नोंधो उपयोगी बनती होय छे. आवी विचारणाथी ज आ कृतिनुं अत्रे सम्पादनप्रकाशन कर्तुं छे.
व्रत लेनार बाई कच्छ- मांडवीनां निवासी श्राविका छे, तथा तेमना पतिनुं नाम काराभार (कारभारी) शाह नानचंद छे, तेवुं आ 'वही' मां नोंधायेलुं छे. व्रजपालनी स्वामी कच्छना एक प्रभावक स्था. धर्माचार्य हता. व्रतो स्थानकमार्गी पद्धति प्रमाणे वर्णवायां छे ते मुद्दो ध्यानमा राखीने ज आ 'वही' जोवानी छे.
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पच्चक्खाणवही
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संवत् १९४८नां वीरर्षे वैसाख सुद १०नी बाई रामकुंवरबाइनी व्रत पचखांणनी वही मांडी छें. पूज्य शाहेबजी माहापुरुष आत्माअर्थि, क्रीयापात्र, धर्मजात्र, गुणवंत, गुणना भण्डार, तर्णतारण, तारणी नावसमान, पंच महाव्रतना पालणहार, पांच सुमते सुमता त्रिन गुप्ते गुप्ता, षट्कायनी रक्षाना करणहार, बारे भेदे तपस्याना करणहार, सतर भेदे संजमना पालणहार, चोथा आराना नमुना एवी अनेक उपमा बिराज्यमांन पूज्यजी साहेबजी महापुरुष ऋषी श्री कृष्णजी स्वामी.
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